तुमने
मुझ से
कहा था
तुम्हे मुझ से
प्यार है ..
तुन्हें पता है
में डूब रहा था
समुन्द्र में
तुम किनारे पर
खड़ी खिलखिलाती थी
मेने मेरी जाना बचाने के लियें
तुम्हारा हाथ मागा था
लेकिन तुमने
इंकार किया था ..
ना जाने केसे
समुन्द्र की लहरों की
वफाई से
मुझे जिंदगी मिली
तुमने फिर मुझे देखा
और मुझ से
फिर तुमें कह दिया
हाँ
तुम्हें
मुझ से प्यार है
में पागल
बदहवास सा
सोचता हूँ
एक प्यार है
एक सच्चा प्यार है
और एक
अँधा प्यार है
अप ही जरा बताओं
वोह जो कहती है
क्या यही प्यार है ................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
जी हाँ यही प्यार है
जवाब देंहटाएंsayad yahi pyar hai...
जवाब देंहटाएंसही कहा जी, यही प्यार है।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
सही कहा , यही प्यार है!!!!
जवाब देंहटाएं