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08 जून 2011

बाबा रामदेव शस्त्र सेना केसे बना सकते हैं ..

बाबा रामदेव भ्रस्ताचार और कालेधन के खिलाफ चलाई गयी मुहीम के बाद राजनीती में जीरो से हीरो बन गए है और योग गुरु होने के साथ साथ एक भारतीय होने के नाते वोह जो कुछ भी कर सकते थे कर रहे हैं लेकिन अचानक उन्होंने कोंग्रेस के आरोपों को हवा देने के लियें शस्त्र सेना की बात कहकर विरोधियों को मुखर कर दिया है ..बाबा रामदेव अनशन पर हैं उनका पांच किलो वज़न कम हो गया है ज़ाहिर है मानसिक रूप से भी वोह प्रताड़ित हैं और इसीलियें शायद वोह अचानक देश में ११ हजार सेनिकों की शस्त्र शिक्षा की बात कह गए ..देश में इस तरह का कृत्य आत्मरक्षा के लियें नहीं आत्म घाट के लियें होता है और ऐसी शिक्षा को सिर्फ आतंकवाद की शिक्षा से ही जोड़ कर देखा जाता है ..खेर थोड़ी देर बाद ही बाबा को सद्बुद्धि आ गयी और बाबा ने अपनी बात पलट कर दुरुस्त करते हुए कहा के शस्त्र शिक्षा नहीं शास्त्र शिक्षा देंगे तब कहीं बाबा की स्थिति स्पष्ट हो सकी है वेसे इस देश को बाबा ११ हजार ऐसे आदमी तय्यार करके दे जो देश के सभी कोनों सभी जिलों कस्बों में जाएँ और भ्रस्ताचार के खिलाफ अभियान चलाए जनता जो भ्रस्ताचार को बढ़ावा देकर खुद आगे रहकर गलत कम करने के लियें भ्रस्ताचार फेलाने के लियें लोगों को उकसाती है उसपर भी रोक लगना चाहिए और यह सब जन जाग्रति अभियान से ही हो सकेगा जो बाबा अगर ऐसी सेना तय्यार करें तो फिर देश भर में भ्रस्ताचार के खिलाफ जाग्रति संभव है ..अभी बाबा के अभियान से जनता को भ्रस्ताचार हो रहा है कालाधन विदेश में है बस इतना पता चला है और भ्रस्ताचार बुरी बात है और बुरी भी ऐसी के दूसरा करे तो बुरा हम करे तो ठीक है ऐसे में खुद भ्रस्ताचार ना करें न ही अपने सामने अपनी उपस्थिति में भ्रष्टाचार नहीं होने दें की सोच होना जरूरी हो गया है ..
कहते हैं 
दो चीज़े 
बेईज्ज़ती और बीवी 
सभी लोगों को 
दुसरे की अच्छी लगती है 
लेकिन भ्रष्टाचार और बेईमानी 
दोनों खुद के लियें अच्छी 
और दुसरे के लियें बुरी लगती हैं .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

8 टिप्‍पणियां:

  1. I agree....Really a single man cannot change the destiny of the country....Its the whole community which must work for this...many people had taken initiatives like Anna and Baba but who is working honestly behind this no one knows....Baba with a big failure in Delhi is now frustrated and out of control of himself. Anna, if he is looking right, is not so wise to even think that taking 2 members from a family for Lokpal Bill is ridiculous. Government since working in collaboration of other parties has its own limitations. Mamun Khan

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  2. सशस्त्र शब्द मीडिया के दिमाग की उपज है. और फिर बताएं की जब सर्कार ही खुलेआम अहिंसक भीड़ खिलाफ खुलेआम अत्याचार पर उतर आये तो क्या कोई ऐसी स्थिति आत्मरक्षा की बात भी न करे? क्योंकि जिहे रक्षा के लिए लगाया था वे ही भेड़िये बन गए. तो किससे उम्मीद रही?

    पुलिसिया बर्बरता के सामने रामदेव यही तो कह रहे हैं की 'इस बार तो तुमने निहत्थी भीड़ पर ताकत आजमा ली, अबकी बार हमसे चुपचाप पीटने की उम्मीद मत रखना.' इसमें गलत क्या है? लोकतंत्र में जनविरोध सत्ता के खिलाफ एक प्रमुख हथियार है, उसे भी कुचल देंगे तो क्या लोग खुद को पीटने से भी न बचाएं? रामदेव युवक-युवतियों का ऐसा समूह तैयार करना चाहते हैं जो आत्मरक्षा में सक्षम हो। "हम किसी को मारना नहीं चाहते लेकिन अपने को इतना सक्षम बनाना चाहते है कि कोई हमें मार नहीं सके।"

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  3. बाबा देश को पाकिस्तान की तर्ज़ पर चलाना चाहते हैं। असली चेहरा सामने आ गया है।सन्यासी मे इतना दंभ और उग्रता?????????? हज़्म नही हो रही। अभी तो लगता है उनका अनुलोम विलोम विपरीत रिज़ल्त देने लगा है।

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  4. सशस्त्र सेना बनाने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती फिर नक्सलियों में व बाबा में क्या फर्क रह जायेगा |

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  5. @Varun.... baba ki jab 99% maange maan li gai thi , baba ne khud kaha h , to phir unko aandolan khatam karna chahiye tha. Aise to kal har koi tees maar kha ban jayega aur delhi me pahuch kar aandolan karega apni maang manwane ke liye. Ye un logo ke liye ek sabak h jo apni fame ka fayda utha kar Constitution ko apne hisaab se change karna chahte h. Ek raat me desh ka future nhi badal sakta .Iske liye thoda sabr , buddhijeeviyo ka discussion aur janta ka hit dekha jaata h jo lambe samay tak chale!!!!

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  6. क्‍यों नहीं बना सकते हैं जी? आखिर बाबा हैं वे। बाबा लोग सब कुछ कर सकते हैं। और फिर देश के इतने लोगों का समर्थन भी तो है उनके पास? :)
    ---------
    बाबूजी, न लो इतने मज़े...
    चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।

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  7. @सरकार को परेशानी क्या है एक अध्यादेश की ही तो मांग कर रहे हैं रामदेव और जनता. मांग है की फ़िलहाल विदेशों में जमा २५० लाख करोड़ काले धन को राष्ट्र की संपत्ति घोषित करने के लिए अध्यादेश लाया जाए. और जिन्होंने जमा कराया है उनके नाम सार्वजानिक कर उनपर मुकदमा चलाया जाए. यूएस और जर्मनी ऐसा कर चुके हैं और उन्हें अपना धन वापस मिल गया है. भारत भी ऐसा करे इसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है? अध्यादेश लाने में समय भी नहीं लगता. इसे कानून का रूप मानसून सत्र में दिया जा सकता है.

    यह पैसा सरकारी खजाने में ही जाएगा न की रामदेव की जेब में. क्या इस मांग से देश को खतरा है?

    २५० लाख करोड़... काफी बड़ी रकम है. इतनी बड़ी रकम की सवा अरब की आबादी वाला देश बिना टेक्स लिए तीस सालों तक यूँ ही चलाया जा सकता है. कल्पना करो लूट की.

    आधी रात को तुम अपने दस हज़ार भेडियों को धरना दे रहे निहत्थों पर बेलगाम छोड़ दो, और वह हताशा में आत्मरक्षा की भी बात न करें? जो उसके और उसके समर्थकों पर बीती उसे याद कर उसकी ऑंखें भी नम न हों? क्यों इतनी पत्थरदिली की उम्मीद करते हो किसी से? यह तो ज्यादती है.

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  8. और रही बात मांगें मान लेने की तो सिबल की तरफ से चार जून शाम पांच बजे के आस पास फोन आया था. सिबल ने कहा की हमने आपकी तीनों प्रमुख मांगें मान ली हैं , आप सत्याग्रह तुरंत समाप्त कर दें. बाबा ने मंच से घोषणा कर दी की सरकार कह रही है की उसने हमारी तीन प्रमुख मांगें मान ली हैं, बस जैसे ही वह लिखित में दे देती है हम आन्दोलन समाप्त कर देंगे.

    यहीं सिबल फंस गए. बातों से बहला देना एक बात है और लिखित में देना दूसरी. बाबा अड़ गए की लिखित में मांगें स्वीकार कीजिये, वर्ना आप बाद में आसानी से मुकर सकते हैं. इन मांगों का समर्थन बढ़ता जा रहा था कोई रास्ता न देख, सरकार ने आधी रात को सोए लोगों पर लाठी चार्ज करवा दिया, यह तो अच्छा हुआ की रामदेव लोगों से अहिंसा बनाए रखने की बार बार अपील कर रहे थे वर्ना वहां कम से कम पच्चीस तीस हज़ार लाशें बिछ जाती.

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