दोस्तों हमारे देश की लोकतांत्रिक सरकार जिसका तमाशा रामलीला मैदान में सबने देखा है अब आपे से इतनी बहर हो गयी है के मिनी एमरजेंसी लगाकर लोगों का दिल्ली से हुक्का पानी बंद कर दिया है ..हालत यह हैं के दिल्ली से भ्रस्ताचार और कालेधन की बात करने वाले बाबा रामदेव और समर्थकों को पीट पीट कर खदेड़ दिया है ...स्थित सब जानते हैं भाजपा नाची ..लेकिन अन्ना के दिल में दर्द हुआ ओर वोह सरकार के इस रवय्ये के खिलाफ विरोध प्रकट करने के लियें जब जंतर मंतर पर अनशन पर बेठने की घोषणा कर बेठे तो बस सरकार आग बबूला हो गयी सरकार के अनिर्वाचित प्रधानमन्त्री और मंत्री जी भड़कने लगे भड़कने इसलियें लगे के वोह अन्ना को सबक सिखाना चाहते थे वोह चाहे गाँधी के हत्यारों को चाहे जितना कोसते हों लेकिन गाँधी के विचारों की हत्या करने में तो वोह गांधी के हत्यारे से भी आगे निकले ...सरकार ने अन्ना को जंतर मंतर पर बेठने से रोका और फिर राजघाट पर बेठने की इजाजत दी बस अन्ना ने वहां मुश्किलों के बाद भी भारी जनसमर्थन जूता लिया और गाँधी के विचारों की हत्या करने का इरादा रखने वाली सरकार अन्ना को हराकर भी खुद हार गयी और अन्ना हार कर भी जीत गए ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 जून 2011
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jeeeeeeeeee
जवाब देंहटाएंsahi
bilkul sahi....
जवाब देंहटाएंअन्ना कब हारे?
जवाब देंहटाएंकल तक मेरी खुद की आशंका थी कि जिस तरह से रामलीला मैदान में लोगों को लाठियाया गया, हो सकता है आने वाले अनशनों में लोग भाग लेने से कतराएँ... मगर कल राजघाट पर दिन भर रहने के बाद देखा कि जिस तरह से जनता का समर्थन अन्ना को फिर से मिला, जिस तरह से जनता में सरकार की फासीवादी नीतियों के प्रति विरोध है उससे मेरी आशंका निर्मूल साबित हुई..
जवाब देंहटाएंअब सरकार ने मीडिया को भी अन्ना और रामदेव को कवर न करने की एडवाईज़ दे डाली है...देखते हैं आगे आगेक्या होता है