किसी गीतकार ने लिखा है के खुदा भी आसमा से जब देखता होगा मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा वोह लेने इन दिनों महात्मा गाँधी आदरणीय बापू के आज़ाद देश में कुछ इस तरह से पढ़ी जा रही है के गांधी भी जब आसमा से देखता होगा मेरे देश को मेने आज़ाद क्यूँ कराया सोचता होगा जी हाँ यह सच है एक लोकतंत्र की आज दुर्गति हो रही है वोह किसी तानाशाह राज में भी तानाशाही की नहीं हुई है कानून कायदे देश की स्वतन्त्रता और देश के मान सम्मान को ताक में रख कर संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार हो गयी है ...भारत में अंग्रेजों के वक़्त पर जब जब गांधी ने अनशन का हथियार चलाया बेदर्द अँगरेज़ सरकार भी उनके इस हथियार के आगे झुक गयी है लेकिन हाल ही में बाबा रामदेव के अनशन , अन्ना के अनशन और फिर स्वामी निगमानंद के अनशन ने भारत के अनशन की राजनीती को तहस नहस कर दिया है .......हिंसा की तरफ बढ़ रहा भारत देश महात्माओं के साथ अहिंसा की तरफ बढ़ रहा था और लाठी भाटा चक्का जम की भाषा भुला कर फिर से अनशन के रस्ते पर था लेकिन अहिंसा का रास्ता अपनाकर उन्हें क्या मिला स्वामी निमानंद को म़ोत मिली , बाबा रामदेव को अपमान और अन्ना हजारे को बीच में लटका दिया गया ....एक तरफ देश की जनता के करोड़ों करोड़ लोगों का राष्ट्रहित में चलाया गया आन्दोलन और दूसरी तरफ राजस्थान में गुजरों का आन्दोलन अगर दोनों को हम देखें तो सरकार हिंसा के आगे झुकी गुर्जरों ने जनता का जीना दुश्वार किया करोड़ों करोड़ की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया कानून तोड़ा रास्ते जाम किये उनका सरकार ने कुछ नहीं बिगाड़ा और उनसे वार्ता कर सरकार ने मोके पर अपने मंत्रियों को भेजा उन्हें मुख्यमंत्री ने बुलाया तो एक तरफ हमारा गांधीवादी अनशन और दूसरी तरफ हिन्संक आन्दोलन दोनों में से जीत हिंसक आन्दोलन की हुई गांधीवादी आन्दोलन कारियों की हार ही हुई है अपमान ही हुआ है ऐसे में देश फिर से नक्सली आन्दोलन की तरफ बढ़ेगा हिंसा की तरफ बढ़ेगा ....तो दोस्तों जहाँ गांधी के अनशन को दुत्कारा जाता हो जहाँ हिंसा को अपनाकर उसके आगे सर झुकाया जाता हो आज क्या वोह गाँधी का आज़ाद भारत है सोच कर भी शर्म आती है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 जून 2011
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आपका कहना बिल्कुल सही है…………अब तो जनता ही हथियार उठायेगी तभी सरकार को समझ आयेगी नही तो यूँ ही पिसती जायेगी।
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