भाई कृष्ण कुमार यादव ने ब्लोगिग्न को नये आयाम दिए हैं



 
 
 
 
 
 
 
 
 
| जी हाँ दोस्तों सरकारी जिम्मेदारियों के साथ साथ लेखनी में जोर आजमाईश करने  वाले भाई कृष्ण कुमार यादव ने ब्लोगिग्न को नये आयाम दिए हैं इनकी ब्लोगिग्न सेवा लेखन सभी के लियें सराहनीय रहा है कुछ इनकी ब्लोगिग्न और जीवन शेली के बारे में इनकी ही जुबानी सुन डालिए .....      सम्प्रति भारत सरकार में निदेशक.प्रशासन के साथ हिंदी साहित्य में भी  दखलंदाजी. जवाहर नवोदय विद्यालय-आज़मगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद  विश्वविद्यालय से 1999 में राजनीति-शास्त्र में परास्नातक. समकालीन हिंदी  साहित्य में नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, आजकल, वर्तमान  साहित्य, उत्तर प्रदेश, अकार, लोकायत, गोलकोण्डा दर्पण, उन्नयन, दैनिक  जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत, आज, द सण्डे इण्डियन,  इण्डिया न्यूज,शुक्रवार, अक्षर पर्व, युग तेवर, मधुमती, गोलकोंडा दर्पण,  इन्द्रप्रस्थ भारती, शेष, अक्सर, आधारशिला इत्यादि सहित 250 से ज्यादा  पत्र-पत्रिकाओं व सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज,  साहित्यशिल्पी, रचनाकार, लिटरेचर इंडिया, हिंदीनेस्ट, कलायन इत्यादि  वेब-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का प्रकाशन. आकाशवाणी पर  कविताओं के प्रसारण के साथ तीन दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में  कवितायेँ प्रकाशित. एक काव्यसंकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन  "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं संपादित कृति  "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य  समीक्षा(कानपुर)" व "गुफ्तगू(इलाहाबाद)" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक  जारी.शोधार्थियों हेतु व्यक्तित्व-कृतित्व पर इलाहाबाद से "बढ़ते चरण शिखर  की ओर : कृष्ण कुमार यादव" (सं0- दुर्गाचरण मिश्र) प्रकाशित.       की गयी हैं   कृष्ण   कुमार यादव के ब्लॉग माँ ....युवामन .....शब्द्वार....शब्द्वार.......हिंदी साहित्य मंच ..उत्सव के रंग ... ...........डाकिया डाक लाया ... शब्द सर्जन की और ..........         हिंदी साहित्य मंच .....सप्तरंगी प्रेम ...............................  आजमगढ़ ब्लोगर एसोसिएशन ....बाल दुनिया प्रमुख सांझा और निजी ब्लॉग हैं जिनपर कृष्ण कुमार जी कभी रासलीला करते हैं तो कभी दुनियादारी सिखाते हैं कभी हंसाते हैं तो कभी रुलाते हैं तो कभी गम्भीर हो जाते हैं इनकी लेखनी हर रंग में रंगी होने से इन्हें अगर इन्द्रधनुषीय लेखक कह दिया जाए तो झूंठ नहीं होगा ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान                                                                                                       माँ | 
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
बहुत महत्वपूर्ण परिचय प्रस्तुत किया है आपने .कृष्ण जी का व्यक्तित्व कमाल का है .साहित्य-साधना में तल्लीन कृष्ण जी की कर्मशीलता को नमन .
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