आपका-अख्तर खान

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31 मई 2011

लोकतंत्र में लोकपाल बिल का तमाशा ...........

दोस्तों यह मेरा हिन्दुस्तान ..मेरा भारत महान हैं ..यहाँ भारत में रहना होगा तो वन्देमातरम कहना होगा के विवाद पर सेकड़ों जाने चली जाती हैं यहाँ अरबों खरबों के भ्रष्टाचार होते हैं ..यहाँ एक ऐ एस आई के पुत्र जो अब मंत्री हैं उनकी बेठने की कुर्सी की कीमत दो करोड़ रूपये होती हैं ..प्रधानमन्त्री सांसदों को खरीद कर  अपनी कुर्सी बचाते हैं .. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से लेकर निचली कोर्टों में क्या हो रहा है देश जानता है कोनसा ऐसा महकमा है जहां देश गर्व से कह सकता हो के यहाँ हम भ्रस्ताचार मुक्त हैं कुल मिलकर प्रधानमन्त्री हो ,मंत्री हो .अदालतें हों जो भी हों सभी जगह भ्रस्ताचार आम बात है इसके स्पष्ट प्रमाण भी मिल चुके हैं ......एक ऐसा देश जहाना भ्रस्ताचार कोड़ में खाज बनकर दीमक की तरह से देश और जनता को खा रहा है इस देश में जहाँ जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन हो वहां भ्रष्ट लोगों को अंकुश लगाने के लियें हमे हमारे देशवासियों को सालों महीनों कानून बनाने में लग रहे हैं .........एक अन्ना भूख हडताल करते हैं कमेटी बनती है और फिर हाँ ..ना का खेल चलता है अन्ना से बाबा रामदेव को दूर कर भ्रस्ताचार के खिलाफ लड़ाई की ताकत को कम करने का प्रयास होता हैं प्रधानमत्री जो और जज साहब के लियें कहा जाता है यह दायरे से बाहर होंगे ..भाई दायरे से बहर क्यूँ होंगे क्यूँ इन लोगों को देश के कानून से अलग रख कर निरंकुश बनाया जाए क्यूँ इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाए आखिर क्यूँ इस देश में यह सब हो रहा है .......
मेरे देशवासियों क्या आप जानते हैं के देश में जो कोई भी देश की जनता का पैसा वेतन के रूप में लेता हो ,सरकार की सुविधा भोगता हो ,सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त करता हो ,,रियायती दर पर भूखंड या फिर कोई और सुविधाएँ लेता हो वोह जनता का नोकर होता है और जनता के प्रति उसका दायित्व होता है फिर अगर वोह भ्रष्टाचार फेलाए तो क्या उसे इसकी छुट दी जा सकती है ..आप बताये एक प्रधानमन्त्री देश की जनता के रुपयों से सुख सुविधाएँ भोगे , वेतन प्राप्त करे , एक संसद एक अधिकारी एक कर्मचारी एक रियायती दर पर भूखंड प्राप्त करने वाला समाजसेवक ,सरकार से मदद लेने वाला समाज सेवक अगर यह कहे के में यह करूं वोह करूं मेरी मर्ज़ी तो क्या मजाक नहीं लगता एक लोकपाल बिल के लियें इतने दिन मशक्क़त की क्या ज़रूरत है अरे भाई ...................जो भी सरकार से सुख सुविधा ,वेतन,रियायतें और अन्य सुविधाएं प्राप्त कर रहा है उसे तो जनता के साथ विश्वासघात करने पर भ्रस्ताचार करने पर इस दायरे में आना ही होगा  खाए भी हमारा और गुर्राए भी हम पर ऐसे प्रधानमन्त्री ऐसे सांसद ऐसे अधिकारी ऐसे समाज सेवक हमे नहीं चाहिए सब जानते हैं देश और देश के कानून से बढ़ा कोई भी नहीं है फिर क्यूँ प्रधानमन्त्री जी और जज लोग सभी खुद आगे आकर लोकपाल बिल के दायरे में खुद को लेने की पेशकश नहीं करते हैं आगे रहकर इस बिल में खुद बेईमान साबित होने पर दंड के प्रावधान क्यूँ नहीं चुनते हैं बात साफ़ है इन लोगों के दिल में चोर है और यह चाहते हैं के हम बेईमानी भी करे और दंड से भी बचे रहे तो भाई इस लोकपाल बिल की जरूरत क्या है ...हाँ अगर देश का हर व्यक्ति जो जनता के खजाने यानि सरकार से वेतन,सुख सुविधाए,रियायतें प्राप्त कर रहा है उसे तो इस दायरे में रहना ही चाहिए फिर वोह चाहे प्रधानमन्त्री जी हो चाहे जज साहब चाहे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हो चाहे एक रियायती दर पर भूखंड लेकर समाज सेवा करने वाला कोई व्यक्ति हो चाहे फिर राष्ट्रपति हो सभी को इस दायरे में लेना होगा तब देश में मामूली सा बदलाव भ्रस्ताचार से बचाव हो सकेगा वरना अन्ना हो चाहे रामदेव हो सब अपनी अपनी गोटियाँ सकेंगे और मज़े करेंगे केवल एक घंटे में बनाया जाने वाला लोक बिल इतने सालों में भी नहीं बन सका यह राष्ट्रीय शर्म की बात है इस मामले में राष्ट्रीयता की बात करने वाले स्व्यम्न्भू राष्ट्रभक्त आन्दोलन कर इसे क्यूँ नहीं मनवाते सोचने की बात है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. Janab kuchh karna karana nahi hai lekin dikhana aise hi hai jaise ki kuchh ho raha hai aur jaise bahut kuchh ho raha hai.
    Loktantr men yhi sab chalta hai.
    Hamne to faltu Ummiden Gandhi se n rakhin in Bechare Anna se kya rakhenge ?

    जवाब देंहटाएं

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