राजस्थान वक्फ बोर्ड और मुस्लिम्स के चेयरमेन खानजादा अलहाज लियाक़त अली ने अपने दो दिवसीय दोरे पर कोटा सम्भाग पर कोटा ,बूंदी,बारां , झालावाड की वक्फ सम्पत्तियों और वक्फ जायदाद का जायजा लिया इस दोरान लियाकत अली का हाडोती की धरती पर ऐतिहासिक स्वागत हुआ .......
पूर्व आई पी एस आई जी के पद से रिटायर्ड लियाक़त अली को उनकी प्रशासनिक क्षमता को देखकर उन्हें राजस्थान वक्फ बोर्ड का चेयरमेन बनाया है , राजस्थान वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों से लेकर कमेटियों में भयंकर भ्रस्ताचार से आम जनता दुखी है , खुद राजस्थान वक्फ बोर्ड के कार्यालय में किसी के भी जाते ही वक्फ बोर्ड के कुछ कर्मचारी चाय और पानी के नाम पर भिखारियों की तरह से पीछे लग जाते हैं इस रवय्ये से वक्फ बोर्ड के कई ईमानदार कर्मचारी भी परेशान हैं इस मामले को लियाकत अली ने गम्भीरता से लेकर चेतावनी स्वरूप खुद ही कार्यालय में दस बजे से पांच बजे तक बेठना शुरू कर दिया है और पेंडिंग कम निपटाने के लियें शिकायत और उसके निस्तारण के पन्द्राह दिन तय कर दिए हैं ताकि कर्मचारियों की जवाबदारी निश्चित की जा सके .
लियाकत अली का कहना है के वोह राजस्थान वक्फ सम्पत्ति के चीफ मुहाफ़िज़ और चीफ खादिम हैं और इस सम्पत्ति का संरक्षण और सोंदार्य्करण उन्हें करना है उनका मन है के वक्फ सम्पत्तियों पर अधिकतम मुसलमानों के ही कब्जे हैं जिन्हें स्थानीय लोग उन्हें समझा बुझा कर आसानी से हटवाने के प्रयास कर सकते हैं . कोटा में लियाकत अली ने भीम गंज मंडी में स्थित ड्डवाडा मचिज़ फेक्ट्री की समस्या और सरकारी कब्जे की स्थिति देखी वोह नयापुरा कब्रिस्तान ,सब्जीमंडी स्थित हजीरे के कब्रिस्तान भी गए , लियाकत अली ने ईदगाह का अवलोकन किया नान्ता ईदगाह पर सरकारी कब्जे की स्थिति जानी , उन्होंने आधारशिला वक्फ सम्पत्ति पर सरकारी मुदाख्लत के प्रयास के चिन्ह देखे वक्फ बोर्ड कार्यालय और वक्फ होस्टल का निरिक्षण किया साथ ही रंगबाड़ी के दो कब्रिस्तान जो सरकारी कब्जों और नियत के कारण बेरोनाक हे वहां की स्थिति भी जाने उन्होंने जन्ग्लिशाह बाबा वक्फ सम्पत्ति पर करोडपतियों के कब्जे देखे तो किरायेदारों द्वारा किराया बढाकर नहीं देने का कारण जाना और भविष्य के लियें सही काम करने के निर्देश दिए .
लियाकत अली ने झालावाड ,गागरोन मिट्ठे शाह महाबली और मामू भांजे मजार की सम्पत्ति देखी उन्होंने सुकेत ,ढ्हाबादेह ,सांगोद,अन्ता बारां की वक्फ सम्पत्तियों का अवलोकन किया नोटाड़ा में भी उन्होंने कई मजारात देखे .
ताज्जुब यह रहा के कोंग्रेस के इस शासन में वक्फ सम्पत्तियों की दुर्दशा और उसे सुधरने के सुझाव गिनती के रहे अधिकतम लोगों ने खुद को वक्फ कमेटियों का सदर बन्नाने के लियें आवेदन किये और आपस में ही एक दुसरे की शिकायतें की किसी ने भी वक्फ सम्पत्ति की हिफाज़त के लियें कोई ठोस सुझाव नहीं दिया , लियाकत साहब वक्फ चेयरमेन का पहला हाडोती दोरा ऐतिहासिक रहा सो से भी अधिक स्थानों पर उन्हें हजारों मालाये पहनाई गयी दर्जनों स्वागत द्वार लगाये गए इतना ही नहीं लियाकत अली को सो से भी अधिक स्थानों पर साफा बाँध कर और शोल उढ़ा कर सम्मानित किया गया , लियाकत अली के जाते वक्त कर के दरवाजे में अंगूठे के आजाने से गम्भीर चोट आई थी लेकिन इस दर्द के बाद भी उन्होंने वक्फ सम्पत्ति के दर्द को जान्ने की कोशिश की लियाकत अली का कहना था के कोटा सम्भाग वक्फ सम्पत्ति के मामले में मालदार तो है लेकिन कब्जेदारों की वजह से जो परेशानी है उससे निपटने के लियें शीघ्र ही कोई कार्ययोजना तय्यार की जायेगी , भारत में वक्फ कानून १९९५ में संशोधन २०१० वक्फ बिल के माध्यम से किया गया है जो लोकसभा में पारित हो गया है और राज्यसभा में पारित होना है इस नये संशोधित कानून में वक्फ को थोड़ी बहुत शक्तियाँ देने का प्रयास करते हुए पाबन्दिया भी लगाई गयी हैं ..................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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