जी हाँ दोस्तों राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक अफरोज के अकबर ऐसे नायाब हैं जो अपनी अम्मी से कभी जुदा नहीं होते और अम्मा अफरोज हैं के बढ़े बेटे आरिफ से खूब बेईमानी करती है वोह आरिफ के हिस्से का प्यार भी अकबर पर लुटा रही है ...यह बात कहने को तो भुत भुत छोटी है लेकिन इस्लाम के एतेबार से समाज के एतेबार से खूब बेईमानी का काम है बच्चे है तो प्यार तो बराबर का ही मिलना चाहिए खेर एक दिन अफरोज के अकबर बहुत बहुत बढ़े हो गए इतने बढ़े के लोग उन्हें दूर दूर से देखने आने लगे अब यह जनाब अपने आधुनिक अंदाज़ में हाथों में रुमाल डाले ,गले में हीरों की माला डालकर खुशबु बिखेरते हुए लाखों की कार से जब उतरे तो इनकी माँ अफरोज बढ़े बेटे को पिच्छे धकेल कर कार के आगे बढ़ी लेकिन यह क्या कर में बेठे अकबर उत्तरते इसके पहले ही अकबर की नई नवेली लवमेरिज बीवी डेकोला डेमोस्तो ने हाथ बढाया और अकबर को निचे उतरने से रोक दिया वोह बोली यहाँ क्या रुकते हो पहले मेरी अम्मी के यहाँ चलो तब फिर यहाँ की सोचेंगे अकबर ने अपनी माँ को देखा और उसे सलीम अनारकली का किस्सा याद आ गया उसने ड्राइवर से कहा चलो में साहब जहां चाहती है वहीं चलो और जनाब अकबर की अम्मी अपने प्यारे सबसे प्यारे बेटे से मिलने की आस सीने में दबाए चुप चाप ठिठक गयी तब बढ़े बेटे आरिफ की गाँव की जाहिल बीवी ने पुकारा अम्मी रोवो मत हम हेना और वोह अपनी इस सास को मनाने लगी क्या यही है जिंदगी ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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