मनमोहन को भ्रष्टाचार छिपाने की आदत
Wednesday, 13 Apr 2011 1:15:34 hrs IST
Wednesday, 13 Apr 2011 1:15:34 hrs IST
नई दिल्ली। दुनिया भर में भ्रष्ट सरकारों और राजनीतिक नेताओं का भंडाफोड़ करने वाली खोजी इंटरनेट साइट 'विकीलीक्स' के संचालक जूलियन असांजे की राय में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार के मामलों पर लीपापोती करने के आदी हैं। एक भारतीय अंग्रेजी समाचार पत्र को दिए गए एक लम्बे साक्षात्कार में असांजे ने कहा कि भ्रष्टाचार के बारे में डॉ. सिंह के रवैए से स्पष्ट है कि वह चीजों को दुरस्त करने की बजाय जैेसा चल रहा है, वैसा चलने देने में विश्वास रखते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री यदि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने और सच्चाई सामने लाने का रवैया अपनाते तो बेहतर होता। संसद में वर्ष 2008 में सांसदों को कथित रिश्वत दिए जाने के बारे में विकीलीक्स के खुलासे पर डॉ. सिंह की प्रतिक्रिया का उल्लेख करते हुए असांजे ने कहा कि विकीलीक्स के संदेशों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करने की बजाय प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वह पूरे मामले में खरा रवैया अपनाते। बजाय इसके उन्होंने भारत की जनता को गुमराह करने की कोशिश की, जिससे जाहिर है कि वह चीजों को छिपाने के आदी हैं। इस खुलासे के बाद और अन्ना के खुले आन्दोलन के बाद अगर मनमोहन सिंह कुर्सी पर बेठे हैं जिनसे जनता तो क्या सुप्रीमकोर्ट तक हताश और निराश हो गयी है और फिर भी वोह शख्स देश की सर्वोच्च कुर्सी पर बेठा है तो क्या ऐसी स्थिति में भ्रस्ताचार और अनियमितता के खिलाफ अन्ना को मिला समर्थन बेकार है ऐसा आदमी अगर देश की कुर्सी पर आज भी चिपका हो नेतिकता के नाम पर इस्तीफा नहीं दिया हो तो भाई में तो कहूंगा के अन्ना का आन्दोलन जरा भी सफल नहीं हुआ है इसके लिए अभी और आग की जरूरत है और आन्दोलन की जरूरत है ................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
क्या बात है खान साहब ! सही कहा ।
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