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12 अप्रैल 2011

आज़ादी के आंदोलनकारी शहीदों के नाम पर राजनीति

देश में जनगणना २०११ में ज़ाती की हिमायत करने वाले लोग अब शहीदों की ज़ात छुपाने की दलीलें दे रहे हैं और कोंग्रेस की पुस्तिका में प्रकाशित शहीदों की पहचान को उनका अपमान बताकर राजनीति करना चाह रहे हैं. 
सभी जानते हैं कोंग्रेस की प्रकाशित पुस्तक में हाल ही में शहीदों को श्रद्धांजली देते हुए उनका जीवन परिचय दिया है जिसमें शहीदों के बारे में लिखा गया है के उनका नाम उनके माता पिता का नाम उनके गाँव उनके कुल और किस समाज में वोह पैदा हुए अंकित किया गया है , किसी भी व्यक्ति के संस्कार उसके परिवार ,उसकी परवरिश से ही आते हैं और कोई भी व्यक्ति एक नाम लेकर किसी ना किसी जाति परिवार में जन्म लेता है जिसे उजागर करने में शर्म नहीं आना चाहिए ,आंबेडकर दलित थे, गाँधी ब्राह्मण थे सब जानते है लिखते हैं स्कूलों में पाठ पढ़ाया जाता है तो क्या यह उनका अपमान है वोटों के नाम पर जाति के लोगों को इकट्ठा किया जाता है उन्हें बहकाया जाता है तब जनता का अपमान नहीं होता लेकिन भाजपा जेसे राजनितिक दल की सोच देखिये के एक छोटे से जीवन परिचय पर उन्होंने राजीनीति शुरू कर दी है कोंग्रेस की पुस्तक में शहीदों की प्रशंसा उनका गुणगान भाजपा को अच्छा नहीं लगा और भाजपा शहीदों को श्रद्धांजली देने का मुद्दा खुद के हाथ से निकल जाने पर बोखला कर जाति छापने पर आपत्ति जताकर शहीदों का मजाक उढा रही हे क्या राजनीति इसी गंदगी का नाम है क्या राजनीति में बिना किसी मुद्दे को मुद्दा बनाकर जनता को बहकाने का काम क्या जाता है अगर कोई भी पार्टी ऐसी राजनीति करता है तो बदल दालों ऐसे राजनेताओं को ऐसी सोच को ताकि आदर्श देश में आदर्श समाज स्थापित हो सके .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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