कोटा.15 साल पहले अतिक्रमण से घिरे क्षेत्र में आज सैंकड़ों हरे भरे छायादार पेड़ लहरा रहे हैं। कारखानों से निकलने वाली विषैली गैसों और वायु प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए कुछ सेवानिवृत्त नागरिकों ने 1996 में विज्ञाननगर में पंचवटी पार्क विकसित करने की ठानी।
उन्होंने राज्य में पंचवटी योजना की शुरुआत करते हुए 3 साल में 3 पंचवटी हरीतिमा पट्टी विकसित करके 5 हजार से ज्यादा पौधे लगाए। 4 पार्को को हरियाली से आच्छादित कर दिया।
लेकिन पास में कच्ची बस्ती होने से 30 प्रतिशत पेड़ों की कटाई भी होती रही, नागरिकों ने हौसला रखते हुए हर साल 30 प्रतिशत नए पौधे लगाना जारी रखा। पेड़ों की सुरक्षा के लिए रिजर्व फॉरेस्ट की तरह ‘पंचवटी’ को बचाने की लड़ाई भी लड़ते रहे। एक साल में 1 हजार पौधे लगाते हुए अब तक वे करीब 11 हजार पौधे लगाकर पूरे क्षेत्र को ‘पंचवटी’ से ही पहचान दिला दी।
हर घर से 100 रुपए अंशदान
पंचवटी विकास समिति के अध्यक्ष एचपी गुप्ता बताते हैं, इसमें क्षेत्र के 150 परिवारों ने 15 साल में करीब 7 लाख रु. आर्थिक सहयोग किया, वे हरियाली के लिए हर माह 100 रुपए अंशदान लेते हैं। इससे यहां पार्क में झूले,फव्वारे, लाइब्रेरी हाल व लाइटिंग की गई है।
जब पुलिस संरक्षण में लगाए पौधे
बात 1996 की है, इस क्षेत्र में 4 तालाब थे, जिनमें 6 फीट गहरा कीचड़ था, यहां बड़ी संख्या में अतिक्रमण होने से जमीन खाली कराना मुश्किल था, मोहल्ले के कुछ नागरिकों ने पहल करते हुए पुलिस सरंक्षण में पौधरोपण करके उनकी सुरक्षा के लिए लंबा संघर्ष किया। एक पंचवटी में निजी स्कूल के अतिक्रमण के खिलाफ 14 साल कोर्ट में लड़ाई लड़ी, लेकिन अंत में समिति के प्रयास सफल रहे।
उन्होंने राज्य में पंचवटी योजना की शुरुआत करते हुए 3 साल में 3 पंचवटी हरीतिमा पट्टी विकसित करके 5 हजार से ज्यादा पौधे लगाए। 4 पार्को को हरियाली से आच्छादित कर दिया।
लेकिन पास में कच्ची बस्ती होने से 30 प्रतिशत पेड़ों की कटाई भी होती रही, नागरिकों ने हौसला रखते हुए हर साल 30 प्रतिशत नए पौधे लगाना जारी रखा। पेड़ों की सुरक्षा के लिए रिजर्व फॉरेस्ट की तरह ‘पंचवटी’ को बचाने की लड़ाई भी लड़ते रहे। एक साल में 1 हजार पौधे लगाते हुए अब तक वे करीब 11 हजार पौधे लगाकर पूरे क्षेत्र को ‘पंचवटी’ से ही पहचान दिला दी।
हर घर से 100 रुपए अंशदान
पंचवटी विकास समिति के अध्यक्ष एचपी गुप्ता बताते हैं, इसमें क्षेत्र के 150 परिवारों ने 15 साल में करीब 7 लाख रु. आर्थिक सहयोग किया, वे हरियाली के लिए हर माह 100 रुपए अंशदान लेते हैं। इससे यहां पार्क में झूले,फव्वारे, लाइब्रेरी हाल व लाइटिंग की गई है।
जब पुलिस संरक्षण में लगाए पौधे
बात 1996 की है, इस क्षेत्र में 4 तालाब थे, जिनमें 6 फीट गहरा कीचड़ था, यहां बड़ी संख्या में अतिक्रमण होने से जमीन खाली कराना मुश्किल था, मोहल्ले के कुछ नागरिकों ने पहल करते हुए पुलिस सरंक्षण में पौधरोपण करके उनकी सुरक्षा के लिए लंबा संघर्ष किया। एक पंचवटी में निजी स्कूल के अतिक्रमण के खिलाफ 14 साल कोर्ट में लड़ाई लड़ी, लेकिन अंत में समिति के प्रयास सफल रहे।
छोटी-छोटी खुशी खुशहाली बन जांदी ए
जवाब देंहटाएंदीवा-दीवा बालिए दीवाली बन जांदी ए
मतलब छोटे-छोटे प्रयासों की बदौलत की क्रांति संभव है.
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समझ सको तो समझो : अल्लाह वालो, राम वालो