अपनी
नादानी के होश में
आज मेने
यह क्या कर डाला ,
फलक में देखा तो
अपनी जन्नत के
सितारे ना मिले
हम तो
साथ थे उनके
मगर वोह
हमारे कहां हो सके ,
फिर भी
देख लो
एक छोटी सी
नाव होने पर भी
आज हम
उफनते समुंदर में
उतर गए
जिस समंदर में
दूर दूर तक
नहीं
दिख रहा है किनारा .......................................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई
जवाब देंहटाएंbahuuuuuut sundar
जवाब देंहटाएंसुंदर और भावपूर्ण पोस्ट
जवाब देंहटाएंआशा