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04 अप्रैल 2011

उपवास भूख हडताल का गाँधी से हजारे तक का सफर

उपवास और भूख हडताल के बल पर लाठी और लंगोटी से बिना किसी हथियार के आज़ादी की जंग जितने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के बाद भूख हडताल को अपनी जायज़ मांगे मनवाने के लियें अगर किसी ने हथियार बनाया हे तो वोह हें अन्ना हजारे समाजसेवक के रूप में अपनी विशिष्ठ गांधीवादी पहचान बनाने वाले अन्ना अब मनमोहन सरकार से टकरा रहे हें और सभी कोशिशें नाकामयाब होने के बाद अन्ना भ्रस्ताचार के विरूद्ध जंग में आज अपने प्राणों की आहुति देने के लियें भूख हडताल पर बेठ गये हें . 
दोस्तों अन्ना हजारे जिसका नाम समाजसेवा  भ्रष्टाचार के विरूद्ध जन हित में शिष्टाचार से युद्ध के लियें लिया  जाता हे जिसका राष्ट्र सम्मान करता हे उसी के राष्ट्रहित  में दिए गये सुझाव देश के प्रधानमन्त्री कचरे की टोकरी में दल देते हें इस बार अन्ना ने प्रस्तावित लोकपाल विधेयक को जल्दी ही संशोधित कर जनता को और अधिकार दिए जाने के बाद लागू किये जाने की मांग की हे एक आज़ाद देश जहां जनता का जन ता के लियें शासन हे वहां जनता को भर्स्ट नेताओं के खिलाफ जांच करवाने उनको दंडित करवाने के कानून बनाने में अगर आना कानी की जाए और विपक्ष में बेठी भाजपा भी खामोश रहे तो बात साफ़ हो जाती हे के आज की राजनीति जनता को लुटने का दूसरा नाम हे और इसीलियें अपने स्वार्थ के लियें कोंग्रेस और भाजपा चोर चोर मोसेरे भाई हो गये हें आखिर लोकपाल विधेयक की मांग संशोधन की मांग भर्स्ट लोगों को दंडित करवाने की मांग क्या इस देश में अपराध हे अगर इस मांग के लियें भी इस देश में अन्ना जेसे लोगों को मरते दम तक भूख हडताल का आन्दोलन करने पर मजबूर होना पढ़े तो फिर इस देश के लोकतंत्र को क्या कहिये . 
अन्ना ने जन्तर मन्त्र पर भूख हडताल पर बेठने से पहले जब रुंधे हुए गले से बयान किया के मंत्री जो समिति के सदस्य हें वोह कहते हें के इस विधेयक की समिति में बाहर के आदमी यानि जनता के आदमी क्यूँ रखे जब अन्ना कहते हें के उन्होंने प्रधानमन्त्री  ,राष्ट्रपति सोनिया जी सहित सभी को पत्र लिखे सुझाव दिए लेकिन एक भी पत्र का जवाब नहीं ऐसे में आज इस प्रधानमन्त्री की अपील का क्या ओचित्य रह जाता हे . 
अन्ना भी जिद्दी हे वोह लोकपाल विधेयक को लागू होने तक और इसको संशोधित कर जनता को अधिकार देने तक भूख हडताल की घोषणा कर बेठे हें और खुद मनमोहन सिंह केंद्र की सरकार के बारे में सब जानते हें के वोह जनहित में तो कुछ नहीं करती अब देखना यह हे के सरकार झुकती हे या अन्ना सरकार को झुकाते हें लेकिन अन्ना जिंदाबाद अन्ना जिंदाबाद के नारे के साथ सभी लोग अन्ना के साथ हें और अन्ना जीतें यही खुदा से सबकी दुआएं हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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