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03 अप्रैल 2011

यह पढाई हे या देश की बर्बादी

अभी हाल ही में पिछले दिनों केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों के रिजल्ट थे मेरी दोनों बच्चिया भी प्रथम और नाइंथ क्लास का रिजल्ट लेने गयीं रिजल्ट आया पास तो सबको ही होना था लकिन किसके कितने नम्बर आये और कोन बच्चा पढने में कितना आगे हे इसका आंकलन नदारद था यानि किसी के नम्बर प्रतिशत नहीं थे .
 पिछले दिनों मानवसंसाधन मंत्रालय ने निजी स्कूलों को नियंत्रित कर सुधरने की जगह लुट की खुली छुट दी हे उसमें नम्बरों के कानून का भी एक बदलाव किया हे जिसमे अब किसी भी बच्चे को कितने नम्बर मिले नहीं बताये जायेंगे केवल ग्रेडिंग ऐ बी सी ही लिखा जाएगा ,सी बी एस इ का यह हुक्म नामा यह कहकर लाया गया हे के इन दिनों बच्चों में नम्बर कम आने के कर्ण आत्महत्या का दोर बढ़ा हे इसलियें इस गम्भीरता को देखते हुए यह कदम उठाया गया हे , देश की निजी स्कूलों में युनिफोर्म.किताबें,फ़ीस,अतिरिक्त शुल्क के नाम पर खुली लुट चलते हे फ़ीस में तो नर्सरी के बच्चों से क्म्पुयूटर शुल्क ले लिया जाता हे जो केवल खेलने के लियें स्कुल जता हे अब इस लुट के बाद भी अगर बच्चे को खुद के नम्बरों का आंकलन पता नहीं चले तो यह उनके भविष्य के साथ विश्वासघात हे . 
निजी स्कूलों में इस लुट के बाद नम्बरों की ग्रेडिंग का जो खेल चला हे उससे लगता हे के आने वाला कल आने वाला भारत कन्फ्यूज्ड बच्चों का होगा क्योंकि जो दिन रात एक कर सारा ध्यान पढाई में लगाते हें वोह बच्चे कितने आगे हें किस मेरिट पर हें उनको उनकी महंत का फल मिला या नहीं अगर उन्हें पता नहीं चला तो उनका उत्साह तो मर रहा हे और वोह निराशावाद की तरफ बढ़ रहे हें इधर जो बच्चे अपना ध्यान पढाई में नहीं लगते हें इधर उधर मटर गश्ती करते हे वोह मजे में हें और वोह बिना किसी महनत के हर साल पास हो रहे हें इससे देश में शिक्षा के नाम पर कमजोर बच्चों की फोज खड़ी होती जा रही हे और जो बच्चे पढने में आगे हें उनको नम्बर और मेरिट पता नहीं लगने से वोह निराशावाद की तरफ हे ऐसे में अब आने वाले कल का तो भगवान ही मालिक हे . 
सी बी एस इ ने दूसरी तरफ कोचिंग और निजी कोलेजों को कमाई करवाने और जनता को लुटवाने के लियें वेसे ही स्कूलों के पढाई दुसरे नम्बर पर ला खड़ी की हे पहले एक वक्त था जब दसवीं और बारहवीं बोर्ड में जिसके सबसे ज्यादा नम्बर होते थे उसे वरीयता के आधार पर इंजीनियरिंग और मेडिकल सहित दुसरे कोलेजों में एडमिशन मिलता था लेकिन अब सभी परीक्षाएं स्कूलों में प्रथम रहने वाले बच्चों से अलग कर कोचिंगो के भरोसे छोड़ दी गयी हें यहाँ अलग से रुपया कमाने बच्चों और अभिभावकों को ठगने के लियें कोचिंग और परीक्षाओं के नाम पर लूट जारी हे बोर्ड में कम नम्बर हो लेकिन कोचिंग में पढ़कर अगर बच्चा मोडल पेपर लेकर पास हो जाता हे तो वोह डोक्टर इंजिनियर की अव्वल लाइन में होगा ऐसे में अब मानव संसाधन मंत्रालय और सरकार को क्या कहें , सरकार अगर स्कूली शिक्षा का स्तर बढाना चाहती हे तो पुरे देश में एक कानून एक कोर्स एक युनिफोर्म एक पेपर का फार्मूला हो और जो बच्चे वरीयता में प्रथम हों उन्हें वरीयता के आधार पर इंजीनियरिंग और मेडिकल सहित दुसरे ट्रेडों मने एडमिशन का प्रावधान हो ताके अगर कोचिंग कोई करे तो वोह दसवीं और बारवीं में टोपर बनने के लियें करे कोचिंग के नाम पर जो बच्चे प्रभावशाली होते हें वोह कम नम्बरों के बाद भी बहतरीन  कोलेज और कोर्स करते हें जबकि जो इंटेलिजेंट बच्चे होते हें वोह इन ढपोल शंख प्रभावशाली  बच्चों के आगे खुद को असफल मानते हें और पिछड़ जाने के कारण कई बच्चे आत्महत्या कर लेते हें ऐसे में पढाई के नाम पर लूट और भ्रस्ताचार के इस फार्मूले को बंद कर वरीयता के कानून को भ्रस्ताचार मुक्त तरीके से लागू करने के लियें आप सब भी प्लीज़ अभियान चलाए और आने वाला कल ,देश का आने वाला भविष्य जो पिछड़ने वाला हे जो बिगड़ने वाला हे उसे बचाने की पहल करें ............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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