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03 अप्रैल 2011

ब्लोगिंग के हर दिल अज़ीज़ हरीश सिंह छा रहे हें इन दिनों

दोस्तों सबसे पहले तो में सभी भाइयों से क्षमा प्रार्थी हूँ ,क्षमा प्रार्थी इस लियें के मेरा अपना स्व्भाव हे अपनी सोच हे और मेरी संस्क्रती मेरी शिक्षा यही हे के किसी के बारे में अगर कोई आदर्श कोई अच्छाई  देखो तो उसे उजागर करो और कोई कमी देखो तो उसे छुपा कर रखो . इसी आदत इसी शिक्षा से में मजबूर हूँ , पिछले दिनों  ब्लोगिंग में खूब उलट पुलट आरोप प्रत्यारोप का दोर चला किसी की खूबियाँ अगर गिनाई गयीं तो उसे चापलूसी और चम्चेवाद  का दोर कहा गया, लेकिन दोस्तों किसी से कुछ अर्जित करने के लियें किसी नालायक की तारीफ हो तो शायद चमचागिरी उसी का नाम हे ,जबकि हमारी ब्लोगर दुनिया में एक से एक हीरो एक से एक पारंगत अज़ीम हस्तियाँ हें जिनके बारे में सच लिखना हर ब्लोगर की मजबूरी होना चाहिए और इसीलियें कुछ दिन ठिठकने के बाद फिर से में भाई हरीश सिंह जी की लेखनी ,मिलनसारी,और अपनेपन से प्रभावित होकर यह पोस्ट लिखने पर मजबूर हुआ हूँ और में यह क्रम जारी रखूंगा . 
दोस्तों उत्तरप्रदेश की काशी प्रयाग लवकुश नगरी यानी लवकुश की जन्म स्थली भदोही में भाई हरीश ने १५ मार्च १९६९ को जन्म लिया और इनका प्रारम्भिक अध्ययन का कार्य भदोही में ही रहा वहां इस धार्मिक नगरी लवकुश जन्मस्थली ने भाई  हरीश सिंह को ऐसे संस्कार दिए के सच का सामना करना, पीड़ितों को न्याय दिलाना ,सच बोलना और सच लिखना ,समाजसेवा करना इनकी आदत में आ गया और यही वजह रही के भाई हरीश जी ने पढाई के साथ साथ ही समाजसेवा और पत्रकारिता का काम शुरू कर दिया था .
हरीश जी १९९० में पत्रकारिता से जुड़ गये कई लेख दुसरे छोटे बढ़े समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए खोजी पत्रकारिता में हरीश जी ने काफी नाम कमाया और १९९४ में हरीश जी पाक्षिक समाचार से जुड़े फिर देनिक समाचार पत्रों से लगातार जुड़े रहने के बाद इन अख़बारों की और मालिकों की हकीक़त जब हरीश जी ने समझी तो यह अख़बारों से अलग हो गये और खुद का एक पाक्षिक अख़बार निकाल लिया, इन दिनों हरीश जी देनिक आज अख़बार में क्राइम रिपोर्टिंग भी कर रहे हें , पत्रकारिता के  जूनून ने हरीश जी को सच का सामना करने ,सच के लियें लढने का साहस  दिया और फिर हरीश जी ब्लोगिंग की दुनिया के अँधेरे को दूर करने आ गये ,
हरीश जी ने ब्लोगिंग की दुनिया में खुद को आलू की तरह एडजस्ट किया  हालात यह रहे के जेसे आलू सभी सब्जियों के साथ अच्छा लगता हे ऐसे ही भाई हरीश सभी ब्लोगरों के साथ सम्बन्ध स्थापित करते रहे इनका स्वभाव रहा, सभी से दोस्ती करो किसी से दुश्मनी या नाराजगी इनके स्वभाव में शामिल नहीं हे और इसीलियें यह दोस्त के भी दोस्त और दुश्मन के भी दोस्त बनते चले गये आज भाई हरीश जी के लेखनी के सभी तलबगार हे और यह जनाब हें के ब्लोगिंग के इस अखाड़े में जब कुछ लोग एक दुसरे को चुनोती दे रहे हें एक दुसरे को पछाड़ने  की तय्यारी में हे तब यह जनाब सभी गुट के मुखियाओं के साथ खड़े मुस्कुराते हें उनकी इस मुस्कुराहट में एक प्यार का संदेश अपनेपन का संदेश छुपा होता हे और इसीलियें भाई सलीम ब्लोगर ने हरीश सिंह को लखनऊ ब्लोगरएसोसिएशन    का गुरु  हनुमान  कहा हे और खुबसुरत मधुर अल्फाजों में उन्हें अपने ब्लॉग पर नवाज़ा भी हे,हरीश सिंह अपनी पत्रकारिता की रूचि के चलते पूर्वांचल प्रेसक्लब के अध्यक्ष भी हे और इसीलियें यह सभी ब्लोगों पर अपने पराये का भेद मिटाकर कोई न कोई टिप्पणी छोड़ने की कोशिश जरुर करते हें और इनके इसी स्वभाव के कारण वोह  आज ब्लोगिंग की दुनिया में अखाड़ेबाजी के बाद भी सभी दिशाओं ,सभी विपरीत विचारधाराओं के ब्लोगरों के आपसी मतभेद होने पर भी सभी ब्लोगर्स  के हर दिल अज़ीज़ बन गये हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

8 टिप्‍पणियां:

  1. सभी ब्लोगर्स के हर दिल अज़ीज़ बन गये हें-bilkul sach kaha hai aapne Hareesh ji ke bare me .sarthak post ke liye badhai .

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  2. दिन मैं सूरज गायब हो सकता है

    रोशनी नही

    दिल टू सटकता है

    दोस्ती नही

    आप टिप्पणी करना भूल सकते हो

    हम नही

    हम से टॉस कोई भी जीत सकता है

    पर मैच नही

    चक दे इंडिया हम ही जीत गए

    भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ और आपको एवं आपके परिवार को हिंदी नया साल(नवसंवत्सर२०६८ )की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!

    आपका स्वागत है
    "गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
    और
    121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया

    संदेश जरुर दे!

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  3. भाई सवाई सिंह जी अपने मुझे टिप्पणी से नवाज़ा शुक्रिया लेकिन इससे भी बहतरीन काम यह रहा के टिप्पणी पर आशा और निराशा को लेकर एक बहतरीन रचना लिख डाली मजा आ गया जनाब ............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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  4. हरीश सिंह अपनी पत्रकारिता की रूचि के चलते पूर्वांचल प्रेसक्लब के अध्यक्ष भी हे और इसीलियें यह सभी ब्लोगों पर अपने पराये का भेद मिटाकर कोई न कोई टिप्पणी छोड़ने की कोशिश जरुर करते हें और इनके इसी स्वभाव के कारण वोह आज ब्लोगिंग की दुनिया में अखाड़ेबाजी के बाद भी सभी दिशाओं ,सभी विपरीत विचारधाराओं के ब्लोगरों के आपसी मतभेद होने पर भी सभी ब्लोगर्स के हर दिल अज़ीज़ बन गये हें .

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  5. jay ho.
    ati utsahi rachna. Jai Hind Mere Blog par bhi visit kijiye ek damdaar chij milegi,

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  6. काहे को चने की झाड़ पर चढ़ा रहे बड़े भैया, अनवर भाई को क्या कहें, वे तो हमारे बड़े भाई है, उनका आशीर्वाद तो हमेशा बना ही रहता है.
    अख्तर भाई आपके विचारो को पढ़कर मैं अभिभूत हूँ. आपने जो प्यार मान सम्मान दिया है उसका मैं ऋणी हूँ. मैं तो अभी ब्लॉग की दुनिया का एक छोटा सा शिष्य हूँ. आप लोंगो से अभी सीख रहा हूँ और सीखना भी है. यह तो आप सभी का स्नेह है जो हमें इतना प्यार देते हैं. जिसे मैं खुद के लिए आशीर्वाद समझता हूँ. मैंने हमेशा यही समझा की जो शक्ति प्रेम में है वह किसी में नहीं है. ईश्वर भी अपने भक्तो पर तभी खुश रहता है जब हम प्रेम से उसके बनाये कायनात, उसकी बनायीं हर चीजो का सम्मान करे. यदि सभी के प्रति हमारे मन में प्रेम भाव बना रहे तो यह दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाएगी. सारे फसाद खुद ब खुद मिट जायेंगे. इसी प्रेम का नतीजा है की "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की स्थापना किये हमें दो महीने भी नहीं बीते हैं. और इतने लोंगो ने हमें अपना आशीर्वाद दिया. इतना सम्मान देने के आपको शुभकामना. पर अकेले आपको नहीं बल्कि अपनी प्यारी भाभी जी को भी, हमें लगता है आप बिना उनके कुछ लिखते नहीं है.

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  7. बिल्कुल जी...हरीशा भाई छा गये हैं...बधाई!!!

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  8. हरीशा=हरीश ....माफी चाहूँगा नाम गलत टंकित करने के लिए.

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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