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02 अप्रैल 2011

उढ़ा लेने दो मजाक इनको

जो उड़ाते  हें मजाक 
मिलकर 
अभी तुम्हारा 
उन्हें 
यूँ ही 
मजाक उड़ाने  दो 
तुम अपना काम करो 
वक्त हे 
अभी इनका 
इनसे ना कुछ कहो 
खुद आगे होकर मिलेंगे  एक दिन देखना 
बस तुम्हारी महनत
तुम्हारा समर्पण 
तुम्हारा अपनापन 
तुम्हारा प्यार 
तुम्हारी लगन
यूँही जारी रखो 
यह पत्थर हें तो क्या 
तुम्हारे अदब की 
आग से 
यह यूँ ही पिघल जायेंगे 
यह यूँ ही पिघल जायेंगे ................... 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. उन्हें
    यूँ ही
    मजाक उढ़ाने दो
    तुम अपना काम करो

    अकेला भाई नमस्कार बहुत सुन्दर भाव सुन्दर शब्द प्रस्तुति

    गुस्ताखी माफ़ शब्दों को हिंदी बनाते समय ध्यान दें एडिट करें कृपा करके

    उड़ाते ,उड़ाने, वक्त है ,मेहनत,



    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

    प्रतापगढ़ उ.प्र.

    आओ अपना समाज रचें जिसमे हम बसें ये हमारे घर से ही शुरू होता है

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति. आपकी उपरोक्त रचना पढ़कर नया उत्साह का संचार हुआ है. मेरी आकांक्षा(ख्याब) सुनकर भी अनेक लोग मजाक उड़ाते हैं, इसलिए मैं अपने आपको "सिरफिरा" कहलाता हूँ. जिसका दिमाग "फिरा" होता है या यह कहे "सनकी" होता है.उसी को लोग "पागल" कहते हैं, कोई मुझे "पागल" कहे उससे पहले ही स्वंय को "सिरफिरा" कहलवाना शुरू कर दिया.

    जवाब देंहटाएं

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