राजस्थान के कोटा सहित सारे राज्य में इन दिनों पुलिस कर्मियों और चोकी पर हमलों की घटनाओं के बाद स्थानीय पुलिस दहशत में जी रही हे और कई चोकियों पर पुलिसकर्मियों के कम होने से रात को चोकियाँ खाली पढ़ी हे हाल ही में कल कोटा की एक चोकी पर पुलिस कर्मी के हमले में एक सिपाही घायल हुआ इस मामले में पिता पुत्र जेल में हें .
कोटा में कई ऐसी छोटी बढ़ी चोकियां हे जहां गश्त और दुसरे मामलों में रात्रि चोकी महत्वपूर्ण हे लेकिन वहां इक्का दुक्का सिपाही रात्रि में किसी भी हमले की आशंका से बेचें हे पहले कोटा सहित राजस्थान के खास जिलों में पहले पेट्रोल पम्प लुट से जनता दुखी थी अब पुलिस चोकी पर हमलों से खुद ही पुलिस खोफ के माहोल में जी रही हे सरकार ने इस मामले में जिन पुलिस कर्मियों की निजी रंजिशें हें या जनता से जिनका व्यवहार उकसाने वाला हे उन पुलिस कर्मियों को पहचान करने की एक कार्य योजना तय्यार की हे ताकि जनाक्रोश से उन्हें बचाया जा सके .
देश के सुप्रीमकोर्ट ने ऐसे मामलों से बचने और जन सहभागिता के उद्देश्य से प्रकाश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में पुलिस को वर्दी वाला गुंडा कहते हुए इनके कानून में बदलाव और जनता से इनका केसा सुलूक होगा इनकी निरंकुशता पर केसे नियन्त्रण हो इसके फार्मूले सुझा कर राज्यों को पुलिस कानून बनाने के निर्देश दिए थे राजस्थान में वर्ष २००७ में पुलिस अधिनियम बनाया गया यहाँ कमिश्नर प्रणाली भी लागू हुई लेकिन इस कानून के तहत राजस्थान में आज तक आवश्यक आयोग और आवश्यक समितियों का गठन नहीं किया गया हे जन सहभागिता तो दूर की बात यहाँ पुलिस की जनता से शिकायतें और जनता की पुलिस से शिकायतें पुलिस कल्याण सम्बन्धित मामलों में आज तक भी कोई भी आयोग कोई भी समिति गठित नहीं की गयी हे यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना हे और राजस्थान सरकार का जनता का विश्वासघात पुलिस और जनता की सहभागिता नहीं होने से ही इन दिनों पुलिस और जनता में दुरिया बढ़ी हे इसे रोकना होगा ............. .. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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