आज हमारी बाई ने आने में थोड़ी देर कर दी , खेर थोड़ी देर से ही सही वोह आई तो सही ,मेरी पत्नी ने उससे सजी संवरी आने का और देर से आने का कारण पूंछा तो उसने कहा आज शीतला माता की पूजा करने गयी थी .
बाई धार्मिक प्रवर्ती की थी मेने उससे शीतला माता के बारे में जानना चाहा तो उसने बताया के इन दिनों बच्चों के माता का प्रकोप रहता हे माता यानी चेचक का प्रकोप रहता हे चेचक राजस्थान में ऐसी बिमारी हे जिसे कागजों में तो सरकार ने जीत लिया हे लेकिन छोटी और बढ़ी चेचक आज भी कई बच्चों के हो रही हे और इसी लियें धार्मिक आस्थाओं के तहत आज के दिन शीतला माता की पूजा महिलाएं माता की मूर्ति को ठंडे पानी से नेहला कर ठंडा कर करती हें उनकी मान्यता हे शीतला माता ठंडी हो जाने के बाद उनके बच्चे माता यानी चेचक के प्रकोप से बच जायेंगे . कोटा में शीतला माता के मन्दिर और चोक हे जहां महिलाएं लें लग कर माता के दर्शन कर अपनी धार्मिक आस्थाएं पूरी करती हे इस दिन महिलाएं एक दिन पुराना बासी खाना खाती हें उनकी मान्यता हे के बासी खाने की इस दिन धार्मिक मान्यता हे लेकिन एक दिन बासी खाना खाने से कभी कभी बासी खाना खाने की भी आदत पद्धति हे ..................शीतला माता की पूजा उत्सव पर सभी माता और बच्चो को इस दुआ के साथ बधाई के शीतला माता उन पर महरबानी रखे और छोटी बढ़ी माता यानी चेचक सहित सभी बिमारियों परेशानियों से उन्हें बचाए और उनका कल्याण करे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
परम्परा से होली के बाद यह पर्व मनाया जाता है, कुछ जगहों पर इसे बसियौरा कहते हैं, हरियाणा राजस्थान में बासोड़ा कहते हैं। इस दिन ठंडा भोजन किया जाता है, दिन भर चूल्हा नहीं जलाया जाता।
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