आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

24 मार्च 2011

अच्छे रिश्ते

अच्छे रिश्ते 
बहतर रिश्ते 
घड़ी की 
बेजान सुइयों के होते हें 
जो एक दिन में 
दो बार 
एक दुसरे से मिलती हे 
लेकिन यही 
सुइयां 
हमेशां 
एक दुसरे से 
जुडी रहती हे ................ 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. जनाब अख्तर भाई! आप की बातों में दम है...
    ये दीगर बात है कही ज्यादा कहीं कम है...

    दो लाईने मेरी तरफ से पेश हैं....

    बनते रिश्ते, बिगड़े रिश्ते हर रिश्ते ने आह भरी!
    जब रिश्तों की समझ न थी तो क्यूँ रिश्तों की चाह करी!!

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...