आपका-अख्तर खान

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03 मार्च 2011

यहाँ तक आते आते ............ .

यह शहर हे
यह गाँव हे मेरा
वोह दिल्ली हे
वहां का जो खजाना हे
खत्म हो जाता हे
यहाँ आते आते ,
आप और में
सभी तो जानते हें
कहां जाता हे
यह खजाना
नेताओं और अफसरों के
मुस्कुराते मुस्कुराते ..... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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