यह रौशनी का दर्द
अब हम केसे भूलेंगे
रौशनी की यह सिहरन यह तडपन
तू ही बता
अब हम तेरी चाहत लिए
फांसी के फंदे पर
केसे झूलेंगे
यह रौशनी जिसने
हजारों घर जला कर राख किये
अगर रौशनी होती हे ऐसी
तो बस
रौशनी से यूँ ही डरा करो हर कोई ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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