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13 मार्च 2011

यह रौशनी का दर्द

यह रौशनी का दर्द 
अब हम केसे भूलेंगे 
रौशनी की यह सिहरन यह तडपन
तू ही बता 
अब हम तेरी चाहत लिए 
फांसी के फंदे पर 
केसे झूलेंगे 
यह रौशनी जिसने 
हजारों घर जला कर राख किये 
अगर रौशनी होती हे ऐसी 
तो बस 
रौशनी से यूँ ही डरा करो हर कोई .. 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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