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13 मार्च 2011

एक जुलाई से चवन्नी बंद

कहते हें कोई भी प्रभावशाली आदमी के कहने से अगर काम होते हें तो उसके लियें मुहावरा बोला जाता हे के इसकी तो चवन्नी चलती हे लेकिन अब यह मुहावरा भी हवा हो जाएगा कोइंस एक्ट के प्रावधानों के तहत रिजर्व बेंक ने ३० जून २०११ से चवन्नी बंद  कर देने का एलान किया हे और ऐसे में अब १ जुलाई २०११ से चवन्नी बंद हे .
सरकार ने आदेश दिए हें के ३० जून के पहले अगर किसी के पास चवन्नियां पढ़ी हें तो वोह किसी भी बेंक से जहां उसका खाता हो चवन्नियां बदलवा क्र उसे रूपये प्राप्त कर सकता हे और अगर ऐसा नहीं किया तो १ जुलाई से उसकी चवन्नियां बेकार हो जाएँगी क्योंकि अब सिक्कों को पिघलाना भी अपराध बना दिया गया हे .
चवन्नी बंद होना कहने को तो सामान्य बात हे लेकिन देश में जहां चवन्नी चलने के मुहावरे को गर्व से काम में लिया जाता था वहां अगर चवन्नी बंद होती हे अगर सवाया का नाम खत्म होता हे तो इससे स्पष्ट हे के यहाँ की अर्थव्यवस्था में कितना बदलाव आ गया हे देश में महंगाई का स्तर किस हद तक बिगड़ गया हे जहां चवन्नी यानि चार आने की अब गोली बिस्किट चोकलेट भी नहीं मिलेगी मुद्रास्फीति और महंगाई का यह संगम इस चवन्नी ने स्पष्ट कर दिया हे सरकार चाहे चवन्नी बंद करके खुद को संतुष्ट कर ले लेकिन अगर सरकार ने अपने तोर तरीकों र आर्थिक व्यवस्था में कोई  भी सुधार नहीं किया तो देश के हालात सम्भालना मुश्किल हो जायेंगे और गरीबी की स्थिति विकट हो जायेगी . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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