देख
इन बेजान हाथों में
अब तो
ताकत भी
नहीं बची हे
जो उठी हें
तलवारें उनके वार से
बचने की जरा भी
हिम्मत ना बची हे
देख ले बस अब तो
तू खुद
आकर देख ले
तेरे बाद
जिंदगी में
चाहत जीने की
बची ना कोई
बस तेरा सहारा था
जो छीन गया
और देख ले
अब हम
बेजान शरीर हो गये हें ....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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