आपका-अख्तर खान

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13 मार्च 2011

सहारा हे ना कोई

 देख 
इन बेजान हाथों में 
अब तो 
ताकत भी 
नहीं बची हे 
जो उठी हें 
तलवारें उनके वार से 
बचने की जरा भी 
हिम्मत ना बची हे 
देख ले बस अब तो 
तू खुद 
आकर देख ले 
तेरे बाद 
जिंदगी में 
चाहत जीने की 
बची ना कोई 
बस तेरा सहारा था 
जो छीन गया 
और देख ले 
अब हम 
बेजान शरीर हो गये हें .... 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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