अस्पताल के मेडिकल में भी धांधली चलती रहती हे और शिकायतों के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती इसका उदाहरण कोटा के सरकारी चिकित्सालय जे के लोन जहां मासूम बच्चों और गर्भवती महिलाओं का इलाज होता हे वहां इस तरह की गड़बड़ियां मासूमों के साथ खिलवाड़ हे हाल ही में राजस्थान में जोधपुर प्रसुताओं की मोत का मामला सबके सामने हे जिसमें २८ प्रसुताओं की मोत हो गयी .
फिलहाल इस मेडिकल स्टोर में सरकारी सप्लाई और मरीजों को दवा विक्रय करते वक्त सही बिल नहीं काटने एक्सपायरी अंकित नहीं करने और दूसरी अनियमितताओं के मामले में प्रथम स्तर पर दोषी मान कर उसका लाइसेंस निलम्बित कर दिया हे लेकिन एक सरकारी चिकित्सालय में एक विश्वास को तोड़ कर मरीजों को दवाओं में घपलेबाजी कर जब दवाएं बेचीं जा रही हों और बाहर से दवाएं आ रही हों तो मरीज़ के स्वास्थ की क्या गारंटी हे इस घोटाले में जे के लोन अस्पताल के कई चिकित्सकों के शामिल हुए बगेर यह सम्भव नहीं हे इसलियें इसकी जांच निष्पक्ष की जाकर मामला पुलिस में दर्ज होना चाहिए लेकिन चिकत्सकों को बचाने के लियें अस्पताल अधीक्षक ने और दवा निरीक्षक ने इस मामले में अभी तक कोई प्रथम सुचना रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं करवाई हे जबकि पिछले दिनों इस अस्पताल में कई प्रसुताएं और मासूम बच्चे बेमोत मारे जा चुके हें और इन घटनाओं के बाद डॉक्टरों परिजनों के बीच महासंग्राम भी हुआ हे लेकिन सरकार और सरकार के अधिकारी अब चिकित्सकों और दवा विक्रेताओं को बचाने के लियें लीपापोती में लग गये हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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