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29 मार्च 2011

सरकार की सुप्रीम कोर्ट से भी चालबाजी

देश के भ्रष्ट सुप्रीमों जो सरकार के मंत्रियों रिमोट कंट्रोलरों के हमजोली बने हें उन्हें बचाने के लियें सर्कार देश की जनता के साथ तो उन्हें खून के आंसू रुला कर नंगा खेल खेलती ही रही हे लेकिन अब सरकार की हदें देखो के उसने बेईमान लोगों को बचाने के लियें सुप्रीमकोर्ट से भी आँख मिचोली का खेल खेलना शुरू कर दिया हे और सरकार की इन चालबाजियों से अब सुप्रीम कोर्ट भी देश की जनता की तरह तंग आ गयी हे इसीलियें अब सुप्रीमकोर्ट सभी मर्यादाएं ताक में रख कर एक आम आदमी की तरह सरकार पर खीजने लगी हे .
जी हाँ दोस्तों यह एक कडवा सच हे यही सुप्रीमकोर्ट जब ही आम आदमी सुप्रीमकोर्ट के पास भ्रस्ताचार की शिकायतें लेकर जाता था तब यही सुप्रीमकोर्ट जुर्माने से उनकी याचिकाओं  को ख़ारिज कर दी गयी हे लेकिन कहते हें के दर्द का हदसे बढना दवा हो जाता हे और हमारे देश में भी यही हुआ यहाँ यहाँ भ्र्स्थाचार जब चरम सीमा पर पहुंच गया विभिन्न पहलुओं से सरकार ने भ्रस्ताचार और सरकार के खेल को देख लिया तो सुप्रीमकोर्ट को काले धन की सूचि को सार्वजनिक करने के आदेश देना पढ़े लेकिन यह तो सरकार हे उसने सुप्रीमकोर्ट के इन आदेशों को ठुकरा दिए बार बार आदेश देने पर भी इस आदेश की पलना नहीं की गयी . 
देश के खरबों रूपये का गबन करता आरोपी हसन अली को रस्मन पकड़ा गया और  प्रवर्तन निदेशालय ने हाथ ऊँचे कर दिए कोई सुबूत पेश नहीं किये गए मजबूरी में डंके की चोट पर हसन अली को जमानत मिली लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस गोरख धंधे को समझ गया था इसीलियें हसन अली की जमानत ख़ारिज कर उसे हिरासत में भेजा गया कार्यवाही पर खुद ने निगरानी रखी एक दिन दो दिन बस तिन दिन में ही सुप्रीम कोर्ट की समझ में आ गया के यह न्याय नहीं राजनितिक खेल हे हसन अली और उसके साथियों को बचाने की कोशिशें की जा रही हें और जनता के साथ सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह किया जा रहा हे इसलियें सुप्रीम कोर्ट को चीख कर कहना पढ़ा यह क्या तमाशा हे यह क्या हो रहा हे एक आदमी से आज तक साथियों की जानकारी नहीं ली गयी हसन अली के अलावा आज तक और दुसरे लोग परदे में क्यूँ रखे जा रहे हें सुप्रीम कोर्ट ने निदेशालय की इस कार्यवाही पर अविश्वास जताते हुए एस आई टी विशेष दल के गठन के आदेश दिए हें कलि सूचि वाले कोन हें उन्हें सार्वजनिक रूप से जनता के सामने लाने के निर्दश दिए हें लेकिन मेने गिना हे सुप्रीम कोर्ट ने इस नकटी सरकार को १७ बार कठोरता से इस तरह के आदेश दिए हें लेकिन एक आदेश की भी सरकार ने पालना नहीं की हे अब जब सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने अंगूठा दिखा रखा हे तो फिर आम जनता का तो क्या हाल होगा अंदाजा लगाया जा सकता हे खुदा खेर करे ..................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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