क्या रुपया ही भगवान हे इन दिनों इंसान के लियें .................क्या यह गाँधी की तस्वीर एक बेबस गरीब मजलूम के लियें रिश्वत की मजबूरी बन कर; मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी ;कहावत बन गयी हे , क्या इसीलियें कवि शायर कहते हें के ना बाप बढ़ा ना भय्या सबसे बढ़ा रुपय्या ............... यह पैसा बोलता हे ...... एक सवाल जिसका जवाब मेरे पास तो नहीं हे अगर आपके पास हो तो प्लीज़ जवाब बताएं . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 मार्च 2011
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mere pas bhi nahi hai jawaab.
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जीवन की हरियाली के पक्ष में।
इस्लाम धर्म में चमत्कार।
अपुन के पास भी नहीं है!
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