जयपुर के पत्रकार एक अख़बार में छपी उस खबर से नाराज़ हें जिसमे इस अख़बार ने सरकारी सुविधाएँ लेकर मजे करने वाले और सरकार के आगे दुम हिलाने वाले पत्रकारों की खिल्ली उढाई हे ।
जयपुर के एक देनिक अख़बार ने अपने मुख प्रष्ट पर प्रकाशित आलेख में पत्रकारिता के नाम पर चाटुकारिता और फिर भ्रस्ताचार के बाद भी खबरों को दबा देने और सरकार से विशिष्ठ सुविधाएँ प्राप्त करने वाले पत्रकारों का मजाक उड़ाया हे कहते हें के सच कडवा होता हे और इस लेख के प्रकाशन के बाद भी यही हुआ जयपुर के अखबार के कर्मचारी और कुछ मालिक इस सच से तिलमिला गये हें और इस मामले में सभी पत्रकारों ने जयपुर पिंक सिटी प्रेस क्लब में एक बैठक आयोजित कर इस खबर पर निंदा प्रस्ताव पारित किया हे , काश जयपुर के अखबार इस सच के छपने के बाद निंदा प्रस्ताव के स्थान पर खुद को सुधारने की शपथ लेते और खुद को सुधर कर अनुकरणीय उदाहरण पेश करते लेकिन चोरी और सीना जोरी बस इसी का नाम हे ........ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 मार्च 2011
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काश! जयपुर के अखबार इस सच के छपने के बाद निंदा प्रस्ताव के स्थान पर खुद को सुधारने की शपथ लेते और खुद को सुधारकर अनुकरणीय उदाहरण पेश करते.लेकिन चोरी और सीना-जोरी बस इसी का नाम है. आपके उपरोक्त विचारों से सहमत हूँ. मात्र कुछ भौतिक वस्तु की चाह में कुछ पत्रकार अपने ईमान व ज़मीर गिरवी रखने में कोई संकोच नहीं करते हैं. इन्ही पत्रकारों की वजय से अनेकों घोटाले फाइलों में दबकर रह जाते हैं.
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