देश इमं जिन लोगों की स्थिति म़ोत से भी बदतर हे और जिनके इलाज की कोई सम्भावना नहीं हे आज उन्हें तडपने के लियें छोड़ा जाता हे लेकिन इलाज कुछ नहीं किया जाता और ऐसी स्थिति में जब वोह इच्छा म्रत्यु चाहते हें तो खुद का कत्ल भी उन्हें नसीब नहीं होता ।
यह सच हे के हमारे भारत देश में आदर्श हें यहाँ किसी को मारने के लियें नहीं जिलाने के लियें प्रयास किये जाते हें यह देश आस्थाओं का देश हे और यहाँ इच्छा म्रत्यु को किसी भी हालत में मानयता नहीं दी जा सकती लेकिन भीष्म पितामाह म्रत शय्या पर तीरों पर लेते थे और आखिर उन्हें भी इच्छा म्रत्यु का ही सहारा लेना पढ़ा , हमारे देश में आशाओं का स्थान हे यहाँ निराशा नहीं हे लेकिन एक महिला जो उसी के अस्पताल में एक हमले में घायल होकर ब्रेन डेथ हो जाने से म्रत पढ़ी हे उसके जीने की कोई आशा नहीं हे ऐसे में जब वोह इच्छा म्रत्यु की बात करती हे तो सुप्रीम कोर्ट और हमारी सरकार केवल और केवल इस पर विचार करती हे के इसे इच्छा म्रत्यु दी जाए या नहीं कोई भी यह नहीं कहता के इसका इलाज एक चुनोती हे जिसे विश्व के बढ़े से बढ़े डोक्टर से सरकार अपने खर्च पर जहां भी जिस देश में हो करवाए शायद सरकार देश के संविधान को भूल गयी हे के लोगों के प्राणों की रक्षा और स्वास्थ की ज़िम्मेदारी सरकार की हे और जब ऐसी स्थिति ऐसे सवाल आन खड़े हो तो फिर सरकार के लियें क्या कहिये सोचने की बात हे ............ शायद आपको मुन्ना भाई एम बी बी एस की याद आ गयी होगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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