दोस्तों क्रान्ति और राष्ट्रभक्ति के जनक मेरे इस भारत देश में इन दिनों मिस्र,काहिराफिर लीबिया की क्रान्ति से यहाँ के लोग खुद को मानसिक रूप से देश भक्त साबित नहीं कर पा रहे हें बात सही भी हे वोह ऐसा इसलियें नहीं कर सकते के जो लोग धर्म,समाज और रिश्तों से ज्यादा देश को अहमियत देकर राष्ट्र भक्ति का पाठ पढ़ते हें आज वही लोग देश की बिगड़ी स्थिति पर पार्टी,सियासत और रिश्तों के नाम पर कमजोर बनकर सबकुछसह रहे हें ।
दोस्तों अभी पिछले दिनों मिस्र और फिर लीबिया में जनता के आक्रोश के बाद जो तख्ता पलट कार्यवाही हुई हे वहां हमारे देश से कमोबेश स्थिति मिलती जुलती थे लेकिन जहाँ की जनता जिंदगी से ज्यादा देश को आह्मिय्त देती हे वोह अपना सब कुछ गवा कर भी देश को बचाना चाहती हे और ऐसा लीबिया मिस्र में किया गया लेकिन हमारी जनता अब इन नतीजों को देख कर खुद की चुप्पी पर हेरान परेशान हे वोह अब आत्मचिंतन में लगी हे वोह सोचती हे के हमारे देश की जनता और हम क्या वास्तव में देश प्रेमी हें या किसी ना किसी स्वार्थ से जुड़े हें या फिर हमारी ताकत हमारी राष्ट्रीयता कमजोर हो गयी हे बस इसी पशोपेश में आज हमारी जनता में से कुछ लोग जो कभी आत्म चिन्तन करते हें कुत्ते बिल्ली जानवर से अलग हट कर अपनी जिंदगी जीते हें वोह शायद अपनी बेबसी पर खुद को कोस रहे हें और इन लोगों में से में और मेरे ब्लोगर साथियों में से कई लोग हे जो देश के हालात बदलने के लियें किसी भी हद तक कुछ भी कर गुजरने को तय्यार हें लेकिन बस मोके की तलाश हे शायद हम लोग इस देश को भ्र्स्थ भेदियों से बचा पायेंगे शायद हाँ शायद नहीं ...... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 फ़रवरी 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
हमारी देश की जनता कौन अख्तर भाई जी। हम ही तो है। अपनी परेशानी यह है कि बिल्ली की गले में घंटी पहले कौन बांधें। कौन पहल करे। सब एक दूसरे को कोसते है मैं भी.....और देश डूबता चला जा रहा है जय हो।
जवाब देंहटाएंकुछ कर गुज़रने कि ख्वाहिश तो बहुत लोगों के सीने में है , बस सही मौके की तलाश है । मुझे भी लगता है - "शायद हाँ "
जवाब देंहटाएं