दोस्तों देश के विधान ने हमें सच जानने का हक दिया हे सरकार का पैसा खान कितना खर्च हो रहा हे हमारे बारे में सरकार ने क्या रिकोर्ड तय्यार किया यह जानना हमारा कानूनी हक हे और इसी हक को सुचना के अधिकार के लियें संघर्ष करने वाले समाजसेवियों ने संघर्ष कर सुचना के अधिकार के कानून के रूप में कानून बनवाय हे ।
दोस्तों सरकार ने कानून तो बना दिया लेकिन अधिकारीयों को इसका डर जरा भी नहीं हे हालात यह हें के सुचन के अधिकार अधिनियम के तहत प्रस्तुत प्रार्थना पत्रों को सरकार और अधिकारी फुटबाल बना देते हे अटका कर रखते हें और कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ जनता से छुपा लेते हें लेकिन अब जनता जान गयी हे हर गली हर मोहल्ले में इस कानून के जय जय कार हे जनता दस रूपये का पोस्टल ऑर्डर और फिर एक आवेदन पत्र किस किस की क्या क्या पोल खुलवा सकता हे इस सच को जानने के बाद अपना काम करने लगी हे यह सच हे के जनता और अख़बार इस अधिकार को ब्लेकमेल के लियें भी इस्तेमाल कर रहे हें लेकिन ऐसे कुछ लोग हें जिन्हें इसकी सजा मिलना चाहिए इसमें जनता का कोई कुसूर नहीं हे और जनता को तो जो हक हे वोह मिलना ही चाहिए ।
लेकिन दोस्तों ब्व्धे दुःख के साथ लिखना पढ़ रहा हे के इस अधिकार के नाम पर आज लोगों की हत्या की जा रही हे लोगों को डराया धमकाया जा रहा हे हालत यह हें के गुजरात के कच्छ में भुज निवासी एक किसान ने १५ फरवरी को एक पत्र कलेक्टर को सुचना उपलब्ध नहीं कराने के बारे में लिखा और चेतावनी दी की अगर उसे कानूनी रूप इ प्राप्त की जाने वाली सूचनाएं नहीं दी गयीं तो फिर वोह मजबूर होकर २१ फरवरी को तहसील कच्छ के समक्ष आत्मदाह कर लेगा दोस्तों कलेक्टर तो कलेक्टर हे उसे जनता के दुःख दर्द से क्या लेना तहसीलदार को सुचना देने के लियें पाबन्द नहीं किया गया किसान विधि अनुसार आवेदन करने के बाद इन्तिज़ार करता रहा और फिर २१ फरवरी को जब डेड लाइन खत्म हुई तो एक निराशा इस कार्यकर्ता के मन में आई और देश को सुचना के अधिकार के नाम पर इस कानून को कलंकित करने वाले अधिकारीयों को बेनकाब करने के लियें इस कार्यकर्ता ने खुद को तहसील के बाहर तेल छिडक कर आग लगा ली और अपने प्राणों की आहुति दे दी तो दोस्तों देखलो यूँ जल रहा हे हमारे देश में धूं धूं कर सुचना को अधिकार अब इस आग को कोन बुझाएगा देखते हें इस अधिकार को जनता को केसे दिलवाया जा सकता हे ......... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 फ़रवरी 2011
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Nice post.
जवाब देंहटाएंमहोदय,
जवाब देंहटाएंमैं पौरुष कुमार हिन्दुस्तान पेट्रोलियम में 2007 से सेवा दे रहा हूँ।
हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अधिकारी द्वारा मुझे नियुक्ति किये जाने के बाद मैने नियमित रूप से सेवा दिया है अब अधिकारी द्वारा हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। डिस्ट्रीब्यूटर्स के यहॉ IT से संबंधित समस्या से क्षेत्रीय कार्यालय को अवगत कराने का प्रयास करने पर मुझे नजरअंदाज किया जाता है। जैसा कि विदित है कि IT से संबंधित कार्य़ हेतु समय समय पर प्रशिक्षण की अवश्यक्ता होती है परन्तु मुझे इनमें भी नजरअंदाज किया जाता है।
पटना क्षेत्रीय कार्यालय या कार्यालय के अधिकारीयों द्वारा मुझ से सेवा प्राप्त किया गया है इस से संबंधित प्रमाण/साक्ष्य मेरे पास है जैसे- कार्यालय डाटा, कार्यालय दस्तावेजों/कागजात, CD, अधिकारी का अनुरोध, पटना क्षेत्रीय कार्यालय एलपीजी में हुई बैठक, पटना क्षेत्रीय कार्यालय या कार्यालय के अधिकारी द्वारा भेजे ई-मेल, पटना क्षेत्रीय कार्यालय या कार्यालय के अधिकारी द्वारा लिखित/मौखक रूप से दिया गया अनुरोध, अधिकारी द्वारा मुझ से मोबाईल/दूरभास से किया गया बात।
उपरोक्त मामले से संबंधित और भी अनेको प्रमाण/साक्ष्य मेरे पास है जो यह दर्शाता है कि मुझ से सेवा प्राप्त कया गया हैं और भुगतान भी मुझे किये गए।
मुझे किये गए भुगतान के भी प्रमाण/साक्ष्य मेरे पास है जैसे- बैंक खाता में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) से हुए लेन-देन का ब्यौरा/ विवरण, पटना क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारीयों द्वारा दिया गया चेक, अधिकारी से प्राप्त पत्र/ई-मेल और भी अनेको प्रमाण हैं।
अतः आपसे निवेदन है कि हमारे इस समस्या को ध्यान में रखकर संबंधित विभाग को उचित कार्यवाही करने का आदेश प्रदान करने की कृपा करें।
भवदीय
पौरुष कुमार
पता - स्वर्गीय डॉ. बीरेन्द्र चौधरी
श्री शिव बच्चन सिंह
कौशल्य़ा भवन, यारपुर, शिवाजी पथ, राजपुताना
पटना - 800001
फोन नं. - 9471055668