संवेधानिक संस्था राजस्थान वक्फ बोर्ड जहां कई माह बाद राष्ट्रपति के दबाव से चुनाव हुए और भाजपा के बोर्ड चेयरमेन को हटा कर पूर्व पुलिस अधिकारी को चेयरमेन बनाया गया कोई बात नहीं जनप्रतिनिधियों का विरोध कम था इसलियें अफसर शाही हावी रही लेकिन अब ;लोकतंत्र प्रणाली के बाद फिर से यहाँ ब्यूरोक्रेट्स को हावी कर दिया गया हे ।
राजस्थान वक्फ बोर्ड के गठन के बाद अब तक कुछ नहीं हुआ लेकिन ३१ जनवरी को आयोजित बैठक में पहली बार आर ऐ एस अधिकारी को वक्फ बोर्ड की जिला कमेटियों के गठन के लियें इख्तियार दिया गया अब तक यह पावर निर्वाचित या मनोनीत सदस्यों के पास ही रहती थी लेकिन अधिकारीयों को यह इख्तियार देकर सरकार ने यह साबित करने का प्रयास क्या हे के वफ़ बोर्द्फ़ जनप्रतिनिधियों से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्स के कब्जे में , राजस्थान के जिलों में कस्बों में गाँवों में भाजपा की काबिनाएं बेठी हे वोह मनमानी कार्यवाहिया कर रही हें लेकिन राजस्थान वक्फ बोर्ड की बचकाना हरकत हे के अब तक नई जिला और कस्बे स्तर की काबिनाये गठित नहीं की गये हें इस गठन के लियें कोई सिद्धांत भी तय नहीं किये हें और हालात यह हें के अरबों रूपये की वक्फ सम्पत्तियां बर्बाद हो रही हें , लोग हे के राजनितिक लोगों के तलवे इस पद को पाने के लियें चाट रहे हें वक्फ सम्पत्तियों के कब्जेदार हर जिले में इतने सक्षम हे के उन्होंने वक्फ सम्पत्तियों पर करोड़ों रूपये के जो कब्जे किये हें उसे बचाने के लियें वोह स्थानीय सियासी लोगों से मिलकर अपने चमचों को जिला कमेटियों में बनाना चाह रहे हे ताकि कब्जेदार अपने कब्जे बरकरार रख सकें अब राजस्थान का मुस्लिम इस राजनीती को समझ भी नहीं रहा हे देखते हें के जिलों में अब यह सरकार क्या गुल खिलाती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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