तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 फ़रवरी 2011
जो कुछ दुनिया ने दिया हे मुझे वोह लोटा रहा हूँ में : इसी विधा से भाई ललित शर्मा जी बन गये हें नम्बर वन ब्लोगर
आज सुबह सवेरे से बसंत पंचमी के एहसास के बाद भी दिन भर पारिवारिक प्रोब्लम के चलते उदासी में गुजरा अदालत में काम बेहिसाब था रुक कर आराम की भी फुर्सत नहीं मिली थे शाम को घर आये तो दफ्तर में जयपुर से आई एक पार्टी बेठी थी उसे विधिक मामले में सलाह लेकर तुरंत जयपुर जाना था सो में घर इ कपड़े बदलते ही उलटे पाँव दफ्तर चला गया वहां गया तो बस गया ही सही काम में लगना पढ़ा और फिर कल की कुछ पत्रावलियां देख कर वापस थका हारा घर लोटा सर में थोडा दर्द मन में उदासी लियें में थोडा सुस्ता रहा था घड़ी की तरफ देखा साढे दस बजने वाले थे के अचानक मोबाईल की घंटी बजी फिर बंद हो गयी फिर घंटी बजी मोबाइल चार्ज पर था मेरी बिटिया ने मोबाइल बेड पर ही लाकर दिया मोबाइल की स्क्रीन पर जेसे ही भाई ललित शर्मा का नम्बर देखा तो यकीन मानिए मन की उदासी शरीर की सारी थकान दूर कम्बल हटाया और बेठ गया बस फिर बढ़े भाई से गुर सिखने लगे ।
बातों ही बातों में भाई ललित जी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया , भाई ललित जी से मेने कहा के अब सर्दी कम हुई हे तो उन्होंने कहा हाँ बसंत आ गया हे फिर उन्होंने दोहराया के सुबह साढ़े तीन बजे भाई अरुण राय जी ने मुझे बसंत की बधाई दी मेने कहा के बसंत केसा यह क्या होता हे कहां रहता हे ललित जी के इस बयान में मेरे मुंह से हंसी फुट पढ़ी फिर उन्होंने आगे कहा के अरुण राय जी ने कहा के आप बसंत पर कविता लिखो तब उन्होंने कहा के मुझे तो कविता लिखे बरस हो गये फिर जब उनसे कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया के भाई कविता,रचना को तो अब में भूल गया हूँ बस अब तो गरिमा का ही ध्यान रखे हूँ ललित जी ने चाहे यह बात हंसी मजाक में कही थी लेकिन बात ठीक थी आप सहित मेने भी ललित जी का स्वभाव देखा हे उनकी लेखनी की तेज़ धार समस्याओं पर पकड़ और वर्तमान परिस्थितियों पर विचार देखे हें इसलियें ब्लोगर्स में बढ़े छोटे अपने पराये का भेद भुला कर सभी ब्लोगर भाईयों को एक सूत्र में पिरोने के लियें अगर कोई रचनात्मक कम कर रहे हें तो वोह भाई ललित जी ही हे ।
में ब्लोगिंग की दुनिया में नो सिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता इधर उधर से थोडा बहुत सीख साख कर कुछ करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन मुझे पता चला हे के भाई ललित शर्मा जी ने ब्लोगिंग की इस दुनिया में करीब ५०० ब्लोगर्स से भी अधिक ब्लोगर्स की मदद की हे और उनकी इसी मदद के कारण आज कई ब्लोगर अपना नाम कमा रहे हे दोस्तों मेने भाई ललित जी के गरिमा मई रचनात्मक ब्लॉग को लगभग ध्यान से पढ़ा हे यकीन मानिए एक बार भाई ललित जी की पोस्ट और अंदाज़े बयान देखने के बाद इनके ब्लॉग पर बार बार टिप्पणी करने का दिल करता हे लेकिन मेने देखा के जिन ५०० से भी अधिक ब्लोगर्स के भाई ललित जी गुरु रहे हें वोह तो अपना फर्ज़ निभा ही नहीं रहे हें में सोचता हूँ के अगर उनके अपने शागिर्द ब्लोगर या जिनके ब्लॉग खुद ललित जी ने तय्यार कर के दिए हें अगर वोह खुद भी एक एक टिप्पणी दें तो टिप्पणियाँ ५०० प्रति दिन होती हे लेकिन लालती जी हमारे भाई हें जो कुछ उन्होंने दुनिया से सीखा हे उसे वोह मुफ्त बांटने के प्रयासों में लगे हें , नेकी कर दरिया में डाल की तर्ज़ पर वोह अपना काम कर रहे हें ।
ललित जी शर्मा के लियें यूँ तो लिखते लिखते शाम से सुबह हो जायेगी लेकिन इन दिनों उनकी कुर्सी बसंत का गीत वृद्धों में जवानी फूंकने वाली कविता ने उन्हें ब्लॉग जगत में दिन दुनी रात चोगुनी तरक्की दी हे और कुछ दिन पूर्व जब ललित जी जब कोटा आये थे तो उनके ब्लॉग की चिटठा जगत की रेंक १३००० थी लेकिन देखिये आज पहली रेंक के पहले पायदान पर चल रहे हें और चिटठा जगत ने भी उन्हें लगातार पहली रेंक पर रख कर उनका उत्साह बढाया हे । भाई लाली जी के लिएँ तो अब बस दुष्यं का यही कथन हे के
हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था
कोई मुझे अंगारों की तासीर बताये ।
भाई ललित जी रोज़ हजारों लोगों के सम्पर्क में रहते हें लेकिन लोग क्या हे केसे हे इस मामले में वोह खुद बेखबर से अपना काम सिर्फ काम ही नहीं अपना अभियान प्यार दो प्यार लो आगे बढाये जा रहे हें खुदा करे उनका यह अभियान उनके ब्लॉग लेखन की लोकप्रियता और गुणवत्ता की तरह दिन दुनी रात चोगुनी कामयाबी के साथ तरक्की करे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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