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03 फ़रवरी 2011

कोटा में हेलमेट सभी का मिशन बना ......

दोस्तों कोटा में इनदिनों हेलमेट पत्रकारों,पुलिसकर्मियों, हेलमेट विक्रेताओं और जनता के लियें एक मिशन बन गया हे यहाँ चारों तरफ माहोल हेल्मेटी बन गया हे ।
कोटा के लियें एक खुश खबरी हे के देश भर में मोटरवाहन कानून कार,बस,ट्रक,जीप,ट्रेक्टर,जुगाड़ ,ओवरलोड कानून सहित हेलमेट कानूनों में से केवल एक हेलमेट कानून लागु करने वाला पहला शहर बन गया हे देश के दुसरे सभी जिलों और राज्यों में मोटर वाहन कानून केवल हेलमेट के लियें ही नहीं बलके समानता के अधिकार के तहत सभी वाहनों के लियें अभियान बना हुआ हे लेकिन यहाँ मोटर वाहन कानून के सभी धाराओं को तो पुलिस और प्रशासन ने ताक में रख दिया हे और केवल एक मात्र धारा हेलमेट चालान पर अपना ध्यान केन्द्रिक्र्त कर दिया हे कोटा के दो बढ़े अख़बार वालों के कई संवाददाता सुबह सवेरे सम्पादक मीटिंग में सम्पादक की नहीं प्रबन्धक की डांट खाते हें जी हाँ कोटा के कुछ पत्रकार ऐसे हें जो सम्पादक के निर्देश से नहीं प्रबन्धक यानी विज्ञापन प्रबन्धक के निर्देशों से चलते हें और अगर वोह पत्रकारिता की अक्ल दिखाएँ तो बेचारों को घर का रास्ता दिखाया जाता हे इसलियें इन पत्रकारों को पत्रकार से अलग हट कर व्यापारिक तोर पर निर्देश मिलते हें और यह प्रेस फोटो ग्राफर और पत्रकार सुबह सवेरे से बिना कुछ खाए पिए ट्रेफिक चालान केन्द्रों पर आ धमकते हें और दिन भी तस्वीरें खेंचना और हेलमेट खरीद प्रमोट का काम करते हें फिर खबर तय्यार करते हें अगर इन बेचारे पत्रकारों के जमीर जाग जाने से कोई खबर इमादारी की होती हे तो वोह एडिट होती हे और जेसी व्यापारिक खबर प्रकाशित करना होती हे वेसी ही खबर प्रकाशित की जाती हे , कोटा में दुरी पुलिस हे जो अपने सारे काम छोड़ कर पत्रकारों के साथ मिल कर पत्रकार यानी लिखने वाले पत्रकार नहीं व्यापारिक समूह से जुड़े सो कोल्ड पत्रकारों के साथ शहर में ट्रेफिक पॉइंट बनाते हे अवरोधक ट्रकों में भरवाते हें दुसरे ट्रकों में हेलमेट भरवाते हें और फिर जहां यह ट्रेफिक अवरोधक लगा कर जांच की जाती हे वहां हेलमेट के ट्रक खली होते हें हेलमेट बेचे जाते हें हेलमेट जो कहने भर के हेलमेट हे टोपे हें कोई आई एस आई नहीं हे हेड गियर की परिभाषा में नहीं आते हें २५ रूपये का टोपा दिल्ली से लाकर १५० से ३०० रूपये तक बेचे जा रहे हें और बस कोटा के सडकों पर हेलमेट का खुला तमाशा हे ।
सब जानते हें के कोटा की कहावत हे के कोटा में कचोरी कभी खत्म नहीं हो सकती , २४ घंटे नल आना बंद नहीं हो सकते और यहाँ कभी अव्यवहारिक ट्रेफिक होने से हेलमेट लागू नहीं हो सकते और इस बात का इतिहास गवाह हे कोटा के दो बढ़े अखबार इस मामले में जब से कोटा से छपने लगे हें २० वर्षों से भी अधिक वक्त से अपना सब कुछ छोड़ कर इस अभियान में लगे हुए हें लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खाना पढ़ी हे और खांए भी क्यूँ नहीं क्योंकि जो काम इमादारी और निष्पक्षता से होता हे वोह कामयाबी से होता हे लेकिन जिस काम में बेईमानी, व्यापार शामिल हो और निजी स्वार्थ हो निष्पक्षता नहीं हो अमीरों के लियें कानून नहीं और गरीबों के लियें कानून हो तो फिर कानून कानून नहीं मजाक बन कर रह जाता हे और ऐसी रिपोर्टिंग ऐसी पत्रकारिता शर्मनाक इतिहास बन कर रह जाता हे जिस मामले में सोचने में भी शर्म आती हे .... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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