आपका-अख्तर खान

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05 फ़रवरी 2011

यूँ आंसुओं पर ना जाओ मेरे ..

यूँ
सूखे हुए
आंसुओं पर
न जाओ मेरे
कभी हम भी थे
जो हर
रोते हुए को
हंसाया करते थे ,
आज मिल कर उनसे
खुद को भी
मुस्कुराए हुए
बरस हो गये हें ...... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

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