आपका-अख्तर खान

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05 फ़रवरी 2011

में जिसकी राह देखता हूँ ............ .

में जिसे
यूँ प्यार से
निहारता था
जिसके एक
इशारे पर
अपना सब कुछ
यूँ ही
न्योछावर करता था
आज वोह
उठ कर
चल दिए हें
कुदरत का
मुझ पर कहर देखिये
जिन्हें चाहा
जिंदगी से ज्यादा
जिंदगी भर मेने
आज वोह
मेरी तरफ
मूढ़ कर भी
नहीं देखते हें
और हम हें के
बस
उन्हीं उनकी
राह तकते हें ............. ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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