में जिसे
यूँ प्यार से
निहारता था
जिसके एक
इशारे पर
अपना सब कुछ
यूँ ही
न्योछावर करता था
आज वोह
उठ कर
चल दिए हें
कुदरत का
मुझ पर कहर देखिये
जिन्हें चाहा
जिंदगी से ज्यादा
जिंदगी भर मेने
आज वोह
मेरी तरफ
मूढ़ कर भी
नहीं देखते हें
और हम हें के
बस
उन्हीं उनकी
राह तकते हें ............. ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 फ़रवरी 2011
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very nice..
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