कोटा में वर्ष २०१० के मेला आयोजन में जब खुल कर भ्रस्ताचार और बन्दर बाँट हुई तो बस अख़बार चीखे जनता चीखी और सरकार इस मामले में जाँच के लियें मजबूर हुई सोचा अपने अधीनस्थ अधिकारीयों से जांच करवाते हें लीपा पोती हो जाएगी लेकिन सरकार का यह दाव उल्टा पढ़ गया और अब मामले में लीपापोती जारी हे ।
कोटा के मेले भ्रटाचार की जांच स्वायत शासन मुख्य सचिव जी एस संधू ने कोटा कलेक्टर टी रविकांत से करवाने के निर्देश दिए अब टी रविकान्त तो राजस्थान के बेस्ट कलेक्टर थे वोह किसी का दबाव इस जांच में केसे बर्दाश्त कर सकते थे सो उन्होंने सारे कागजात मंगवाए बयान रिकोर्ड किये और वही किया जो उन्हें पत्रावलियों में दिखा फिर शुरुर हुआ कलेक्टर टी रविकांत पर राजनितिक दबाव का खेल लेकिन जनता का रुपया ऐसे ही लुटा देने वालों को टी रविकांत माफ़ करने को तय्यार नहीं थे इसलियें सरकार ने उन्हें कोटा कलेक्टर के पद से हटा दिया लेकिन वोह तो अपनी जाँच रिपोर्ट तय्यार कर सरकार को पहले ही भेज चुके थे बस फिर किया था कोटा महापोर सहित कुछ अधिकारियों की जान पर बन आई और मामला ठंडे बसते में डाल दिया गया जो अब टक ठंडे बसते में हें ।
कल स्वायत शासन मंत्री जी से जब इस रिपोर्ट के बारे में पूंछा गया तो उन्होंने कहा रिपोर्ट गलत हे दुबारा से जांच होगी फिर बतायेंगे क्या हुआ पहले की रिपोर्ट क्यूँ गलत हे इस मामले में उनके पास कोई भी जवाब नहीं था और वोह निरुत्तर से पत्रकारों को बिना जवाब दिए चल दिए ................... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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