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22 फ़रवरी 2011

भाई रघुनाथ मिश्र की गजल

आज अदालत में भैर रघुनाथ मिश्र सहज भाव से मिले साहित्य के क्षेत्र में पुरस्कृत होने के बाद वोह मुझे पहली बार मिले थे फोन पर तो मेने उन्हें बधाई दे डाली थी लेकिन अब उने कडवे मीठे अनुभव जानने का मोका मिला प्रसन्नता हुई के कोटा के साहित्यकार इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किये जा रहे हें इसलियें में भी प्रफुल्लित हुआ उनसे कुछ गजले लीं जिनमे एक गजल आप की खिदमत में उन्हीं के अल्फाजों में पेश हे ।
गरीबों की बस्ती में प्रीति पलेगी
यह बस्ती भी ओरों सी फुले फलेगी
खिज़ाओं को पाला बहारों ने दिल से
चले यह सिलसिले तो खाई पटेगी
हमारी जगह भी दिलों में बनेगी
कुछ हम सहेंगे कुछ तुम सहोगे
दिलों से दिलों की फिर कभी ना ठनेगी
नया चाहते हें तो नव्द्रष्टि रखें
नया कर दिखाएँ तो दुनिया गिनेगी
सजेगा जगत प्रेम पुष्पों से जब
नागन नफरतों की किनारा करेंगी
अगर दिल की माने तो तय हे नतीजा
घिर्णाओं को भी स्नेह रीती जंचेगी
रघुनाथ मिश्र एडवोकेट
३ बी ३० तलवंडी कोटा राजस्थान मोबाईल ०९२१४३-१३९४६
संकलन अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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