इस
नादान महफिल में
यूँ तो
सब चेहरे
नये से लगते हें
भीड़ हे , धूम धडाका हे
लेकिन
सभी शख्स यहाँ
गुमसुम
तन्हा तन्हा से लगते हें
इस तन्हाई में
एक तू ही तो हे
जिसकी याद ने
मेरा हर पल
साथ दिया हे
इसलियें कहता हूँ
के इस तन्हाई में भी
तेरे दिए हुए
हर जख्म
मुझे अच्छे लगते हें .... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 जनवरी 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इसलियें कहता हूँ
जवाब देंहटाएंके इस तन्हाई में भी
तेरे दिए हुए
हर जख्म
मुझे अच्छे लगते हें .... ।
बहोत खूब!!!!!