राजस्थान के कोटा में एक बार फिर से एक फ्र्फ्री से हेलमेट के नाम पर चालान बाज़ी की घोषणा की गयी हे यहाँ दो वर्ष पूर्व हेलमेट लागु किया था जिसे जनता से चोथ वसूली की खुली शिकायतों और पुलिस लूट खसोट के बाद बंद कर दिया गया था इस चोट वसूली का लाइसेंस अब कोटा में फिर से १ फरवरी से शुरू हो जाएगा ।
कोटा में हाल ही में एक मोटर साइकल सवार को पुलिस द्वारा धक्का देकर ट्रक ट्रोले के नीचे घुसा देने से दो लोगों की म़ोत का आरोप लगा हे उसके बाद खुले बाज़ार में जनता के सामने एक मजिस्ट्रेट के रिश्तेदार को चाबी छिनने के नाम पर धक्का देकर सडक पर गिरा देने का आरोप लगा हे ऐसे ना जाने कितने किस्से हें जो पुलिस के जबरन छोठ वसूली के हें इस शिकायत के चलते ही पूर्व आई जी पुलिस राजीव दासोत ने पुलिस को गंदगी से बचाने के लियें और जनता को लूट से बचाने के लियें हेलमेट के नाम पर चेकिंग बंद करवा दी थी कोटा के ही गृह मंत्री शांति धारीवाल हें वोह भी इस मामल में चुप्पी साध गये थे लेकिन कुछ अख़बार के दलाल और कुछ पुलिस के दलाल जिनकी इस चोथ वसूली रुकने से रात की रंगीनियों का खर्च खटाई में पढ़ गया वोह हर हाल में इस कोशिश में थे के कोटा में हेलमेट जांच के नाम पर पुलिस लूट को फिर से छुट मिले और बस कल सडक सुरक्षा सप्ताह खत्म होने के बाद पुलिस अधीक्षक जी ने घोषणा कर दी के १ फरवरी से हेलमेट जरूरी हे नहीं तो चालान बनेगा । अरे भाई जब हेलमेट जाँच करते हेओ तो फिर ट्रेक्टर ट्रोलियों का शहर में घूमना क्यूँ नहीं रुकवाते ,नाजायज़ अवेध वाहनों का संचालन क्यूँ नहीं रोकते , कार चालकों के लियें बेल्ट की जाँच क्यूँ नहीं करते , ट्रक एक लियें ओवर लोड का कानून क्यूँ लागु नहीं करते सडकों की किनारे द्रष्टि भ्रम पैदा कर दुर्घटना करवाने वाले विज्ञापनों को क्यूँ नहीं हटवाते टूटी सडकों की मरम्मत और अतिक्रमण हटा कर सडकें चोडी क्यूँ नहीं करवाते बड़े वाहनों के मजे और गरीब छोटे दुपहिया वाहनों से लूट यह कहां का इन्साफ हे अगर हेलमेट लागू हे तो कारों,ट्रकों और दुसरे वाहनों के लियें भी बने कानूनों की पालना करवाओं वरना जनता को पकड़ों उसका खून चूसो और उसके कंकाल को लाल किले पर टांक आओ ......... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 जनवरी 2011
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हमारे शहरों की बड़ी अजीब मानसिकता है...जब भी किसी शहर में हेलमेट अनिवार्य करने की बात आती है तो हज़ार तर्क दिये जाते हैं बिना हेलमेट के ही चले रहने को जारी रखने में.
जवाब देंहटाएंकानपुर के एक वकील साहब ने तो अदालत में बाक़ायदा यहां तक सवाल उठाया था कि यदि हेलमेट न पहनने पर ज़ुर्माना होगा तो, ठीक इसी तर्क के चलते, हेलमेट पहने होने के बावजूद किसी के दुर्घटना में मारे जाने पर पेट भरके मुआवजा भी तो मिलना चाहिये..
जबकि सच यही है कि हेलमेट और सीट बैल्ट बहुत ही ज़रूरी हैं हरेक के लिए...
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
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