आपका-अख्तर खान

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26 जनवरी 2011

इसका कर्ज़ चुकाया हे .........

तेरी छाती का दूध पिया माँ,
उसको नही भुलाया हे,
पर धरती हम सब की माँ हे,
इसका कर्ज़ चुकाया हे,
शत्रु ने ललकारा था माँ,
सबक सिखा कर आया हूँ,
किया हुआ जिन्दा नही लोटा
अमर हो कर आया हूँ,
किया हुआ जिन्दा............
माना की तू ब्याहता मेरी,
मुझे प्राणों से प्यारी थी,
पर मात्रभूमि की रक्षा करना,
मेरी जिम्मेदारी थी,
सुहाग चिन्ह हे तुम्हे प्यार,
पर शहीद की विधवा का
सम्मान दिला कर आया हूँ,
किया हुआ जिन्दा..........
प्यारी गुडिया सी बहना को
डोली में नही बिठा पाया,
रक्षा-बंधन पर दिया वचन
माना नही निभा पाया,
पर मात्र-भूमि की रक्षा का
वचन निभा कर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा.......
स्कुल छोड़ने नही जाता तुमको,
दिल से मत लगाना तुम,
एक शहीद के बेटे हो
सोच-सोच इतराना तुम
तिरंगा तुमको कितना प्यारा,
उसे उढ़कर आया हूँ,
किया हुआ जिन्दा .............
तेरी ऊँगली पकड कर बड़ा हुआ में
अब कन्धा मुझे लगा देना,
देश-भक्ति की कहानियाँ
मेरे बच्चो को भी सुना देना,
तुमसे सुनी जो शोर्य कथाएं,
उन्हें दोहराकर आया हूँ,
किया हुआ जिन्दा ............
घायल होकर भी लड़ता रहा में,
सांसो ने दगा दिया क्या करता?
तिरंगा उसपर लहराना था,
शहीद हो गया किया करता?
लहर-लहर लहराए तिरंगा,
इसे खून चड़ा कर आया हूँ,
किया हुआ जिन्दा नही लोटा,
अमर हो कर आया हूँ,
किया हुआ जिन्दा.........
............इन्दर पाल सिंह "निडर"
दोस्तों यह कविता मेरे दोस्त जनाब इन्द्रपाल जी ने भेजी हे जो आप तक में पहुंचा रहा हूँ उन्हीं के शब्दों में उन्हीं के अंदाज़ में उनसे इजाजत लेकर । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ...
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

    जवाब देंहटाएं
  2. अख्तर भाई साहब शुक्रिया जो आपको
    मेरी रचनाये पसंद आई और उन्हें अपने ब्लॉग में जगह दी.

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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