एक गाँव में
काफी दिनों से
बरसात नहीं होने से
इलाके के लोग
परेशान थे ,
एक मोलवी ने कहा
सब मैदान में जाकर
दुआ करो
इंशा अल्लाह बारिश हो जायेगी
सभी लोग मैदाने में
दुआ करने के लियें
एकत्रित हुए
इन एकत्रित लोगों में
एक बच्चे के हाथ में छतरी थी
जो छतरी खोल कर दुआ कर रहा था
नहीं समझे ना ..............
अरे भाई उसे उसकी दुआ कुबूल होने की
पूरी उम्मीद थी इसीलियें तो
पहले से छतरी का इनिजाम करके लाया था ...................... ।
एक बच्चा
जिसे छत से
नीचे गिरा दिया
गिरता हुआ बच्चा
मुस्कुरा रहा था
क्यूँ मुस्कुरा रहा था
अरे भाई उसे इश्वर भगवान पर
भरोसा था
के कोई ना कोई उसे बचा लेगा ... ।
आप और हम
रात को बिस्तर पर सोते हें
तो दुसरे दिन क्या कामकाज करना हे
इसका लेखा जोखा दिमाग में तय्यार करते हें
अरे जब कल का भरोसा नहीं तो फिर
हम ऐसा क्यूँ करते हे
सिर्फ इसलियें के हमें हमारे खुदा से उम्मीद हे
हमें हमारे भ्ब्वान से उम्मीद हे
के वोह हमें ज़िंदा उठाएगा ।
दोस्तों जब चारों तरफ उम्मीद ही उम्मीद का समन्दर हे
तो उठो इस उम्मीद के सागर में दुपकी लगाओं
और हर असम्भव को अपनी कोशिशों से सम्भव बना डालो
निराशावाद खत्म ,अन्धेरा खत्म अब उजाले ही उजाले की उम्मीद हे .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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