तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे?
गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
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03 जनवरी 2011
वक्त की आंच में
वक्त की जलती हुई आग में लोहा हो या हो पत्थर सभी पिघल जाते हें कोन करेगा हमें याद वक्त के साथ ख्यालात भी बदल जाते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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बहुत सही कहा है आपने...आप का लेख या कविता अमन के पैग़ाम के लिए अभी तक नहीं आयी ? इंतज़ार hai
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