राजस्थान हाईकोर्ट में कल ऐ डी जे भर्ती परीक्षा के मामले को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश के समक्ष न्यायालयों की लेट लतीफी का एक नंगा सच सामने आया और फिर न्यायालयों में मजिस्ट्रेटों के देर से बेठने व्किओं के देर से आने पर वाद विवाद हो गया ।
कल राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में जब ऐ डी जे भर्ती परीक्षा की सुनवाई चल रही थी तब एक अधिकारी को देख कर कुछ लोगों ने कहा के हम तो हमारा टाइम खराब करते हें और यह लोग यहाँ बेठे रहते हें इस पर अदालत ने पूंछा के क्यों अधिकारी जी क्या छुट्टी लेते हो अधिकारी जी ने कहा हाँ छुट्टी लेकर ही आता हूँ इस पर कहा गया के आज १२ बजे तक अदालत में क्यूँ नहीं हे वकीलों ने कहा के अदालतें देर से काम शुरू करती हे इस पर अधिकारी ने कहा के वकील ही देर से आते हे इस वाद विवाद का हल चाहे आत्म हत्या की धमकी के बाद न्यायालय में खामोशी का रहा हो लेकिन यह सच हे के राजस्थान के न्यायालयों में आम तोर पर काम काज का वक्त दस बजे का मुकर्रर होने के बाद भी लगभग ११ बजे बाद का ही हे कई न्यायालयों इमं तो १२ बजे तक काम शुरू नहीं होता हे कानून में लिखा हे के न्यायिक अधिकारी साडे दस बजे तक चेम्बर में काम करेंगे और साडे दस बजे बाहर न्यायालय में आकर कामकाज शुरू करेंगे लेकिन देरी से आना और देरी से काम करने की परम्परा अब वकीलों के लियें रईसी ठाठ बन गया हे आज कोटा या कहीं की भी अदालत को लें दस बजे जाने वाले वकील लोग बेवकूफ और पागल कहे जाते हें १२ बजे जाने वाले वकीलों का अदालत इन्तिज़ार करती हे और दस बजे जाने वालों को दुसरे पक्ष के वकीलों को देर से आने के कारण इन्तिज़ार करना पढ़ता हे कानून हे के अदालत दस बजे बेठे और साडे दस बजे से पक्षकारों को आवाज़ लगवाये नहीं आने पर थोड़ी देर में मुकदमा या तो बंद कर दे या कार्यवाही ख़ारिज कर दे लेकिन अनेक बार अदालत वकील और पक्षकार का तीन चार बजे तक इन्तिज़ार कर दुसरे पक्षकार को और वकील को बेवजह सजा दे देती हे अदालत पहले खुद अपने न्यायिक अधिकारीयों को सुधारे उन्हें वक्त पर बत कर काम काज करने की हिदायत दे और फिर जो वकील या पक्षकार नहीं आये उनके मुकदमे में अनुपस्थिति दर्ज कर जो भी कार्यवाही हो आगे बढाये वकीलों को भी खुद के गिरेबान में झांकना होगा उन्हें एडवोकेट एक्ट की पालना में अपने पक्षकार के प्रति ज़िम्मेदार बनना होगा सुबह दस बजे हर हाल में अदालत पहुंचने की आदत डालना होगी और वक्त पर काम करना होगा तभी अदालतों में काम काज ठीक तरह से हो सकेगा अब अगर ऐसा नहीं होता हे तो फिर वकीलों के बने अनुशासन नियमों के तहत लेट लतीफ वकीलों के खिलाफ भी कार्यवाही भी अम्ल में लाना होगी पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जज काटजू ने एक वकील साहब से कहा था के बचपन के बहाने नहीं चलेंगे के साइकल पंचर हो गयी ,ट्रेफिक जाम हो गया ,बारिश आ गयी अदालतों में काम काज सही वक्त पर शुरू होना चाहिए ।
दोस्तों कल हाईकोर्ट में यह विवाद कहने को तो छोटा सा ही हे लेकिन एक सवाल ऐसा खड़ा कर गया हे जिसका जवाब हर वकील हर न्यायिक अधिकारी को वक्क्त की पाबंदी के साथ ढूँढना होगा कई वकील तो अदालत में सिर्फ और सिर्फ लंच खत्म होने के बाद ही आते हें और देरी से आना अपनी शान समझ कर वक्त पर आने वाले वकीलों का बेशर्मी से उपहास उधाते हे अधिकारी हे जो वक्क्त पर आने वाले वकीलों को घंटों दुसरे वकील के नहीं आने के कारण फ़ालतू बिठा कर लज्जित करती हें ऐसे में तो अब निर्धरित नियमों के तहत कार्यवाही कर लेट लतीफ वकीलों की सनद जब्त और लेटलतीफ न्यायिक अधिकारीयों की नोकरे से बर्खास्तगी ही एक इलाज हे ताके काम काज नियमित होने लगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 जनवरी 2011
न्यायिक अधिकारी वक्त पर नहीं बैठते ...वकील वक्त पर नहीं आते
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ये हुई न बात, खरी खरी!
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