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28 जनवरी 2011

एक गाँधी को मारा तो क्या राष्ट्र तो अमर हो गया .........

त्याग ,तपस्या,बलिदान और लाठी लंगोटी के बल पर खुद को उपवास के नाम पर भूखा कह कर जिस गांधी ने देश को जिस गांधी ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद करा कर उंच नीच का भेदभाव खत्म कर देश को एक किया था आज उस गाँधी के हत्यारे केवल गिनती के हें और बेनकाब इस देश में हीरों बनने की सोच रहे हें लेकिन देश ने उन्हें और उनके नारे को नकार दिया हे , ऐसे लोगों का नारा जो भारत को बचाने का नारा देते हों और उसके लियें गांधी की हत्या का पाप करते हों इनकी हकीकत को अब देश का बच्चा बच्चा जान गया हे नतीजा सामने हे आज यह लोग खुद को बचा नहीं पा रहे हें ।
दोस्तों गांधी देश का आदर्श विश्व का स्थापित नेता एक अमर विचारधारा एक मार्गदर्शन एक ऐसी खुशनुमा याद जिसे आज कहीं ख़्वाबों ख्यालों में भी देखना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन हें ऐसे नेता को आज़ाद भारत में देश के पहले खतरनाक आतंकवाद ने क्रूरतम तरीके से मार डाला देश आखिर एक विशेष वर्ग एक विशेष विचारधारा के लोगों से सवाल क्यूँ नहीं करता के गांधी के हत्यारों की वोह लोग खुल कर आलोचना क्यूँ नहीं करते अगर वोह राष्ट्रभक्त हें तो तिरंगे के जनक गांधी का जन्म दिवस गांधी की पुन्य तिथि शहीद दिवस को क्यूँ तरजीह नहीं देते क्यूँ गाँधी के हत्यारे की विचारधारा को आगे बढाना चाहते हें इसका जवाब अगर उनके पास हे तो फिर वोह आयें और राष्ट्रभक्ति का लाइसेंस ले जाएँ वरना गाँधी के हत्यारों को गाँधी की हत्या करने वाले समर्थकों की इस देश में कोई जगह नहीं हे ।
गाँधी जी का ३० अक्तूबर को शहीद दिवस हे इस दिन क्रूर शेतान लोगों ने हमारे गांधी हमारे महात्मा हमारे देश के आदर्श कर्म चंद गाँधी को हमसे छीन लिया था और देश को एक पहली राष्ट्र विरोधी आतंकवादी घटना को जन्म दिया था ऐसे आतंकवादी और उनके समर्थक चाहे किसी भी धर्म जाती समुदाय से सम्बन्धित हो उन्हें तो चुन चुन कर बेनकाब करना ही चाहिए ताके देश भी बच जाए और असली गद्दार सो कोल्ड राष्ट्रीय लोग भी जेल में चले जाएँ यह लेख एक सच्चाई से परिपूर्ण हे इतिहास इस घटना का साक्षी हे और देश आज भी गांधी की याद में सिसक रहा हे जरा कल्पना करो आगर गांधी कुछ साल और रहते तो देश आज कहां से कहां पहुंच गया होता आज कहां हें लाठी कहां हे लंगोटी कहां हे वोह दीवानगी भरा समर्पण कहां हे वोह खुद को तकलीफ देकर उपवास रखने का जज्बा कहीं किसी के पास नहीं अगर नेता अगर सत्ता पक्ष के लोग अगर कोंग्रेस अगर भाजपा या कोई भी राजनेतिक पार्टी गांधी के उसूलों पर चलने से बचना चाहती हे उनकी विचारधारा से गुरेज़ करती हे तो फिर यह दो ओक्टूबर और ३० ओक्टूबर का ढकोसला बंद कर देना चाहिए महात्मा गांधी का नाम ठीक से नहीं जानने वाले लोग भी विधायक संसद बन बेठे हें दफ्तरों में गाँधी जी की तस्वीर एक आदर्श यादगार के रूप में लगाने का प्रावधान हे जरा बताएं आज किस नेता,किस मंत्री ,किस कलेक्टर ,किस जज के कक्र्याली में गांधी जी की तस्वीर हे खुद सर्वे करा लो गिनती के ही कुछ विभाग हें झा ढूंढे से यह तस्वीर मिल जायेगी वरना तो बस अब यह नाम एक विचारधरा बना कर फिल्मों और विज्ञापनों में समेत दी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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