आपका-अख्तर खान

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27 जनवरी 2011

उदास ना हो ...

उदास ना हो
नील नाकाम ही तो हुआ हे
ना उम्मीद तो नहीं
यह गम की शाम
लम्बी तो हे
लेकिन
शाम ही तो हे
कल फिर सुबह होगी
रौशनी होगी
गम को इसी डर की
हेरानी तो हे
इसलियें ना उम्मीद रख उदास ना हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

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