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24 जनवरी 2011

मोहर्रम का चालीसवां आज

दोस्तों मोहर्रम तो एक महीना हे और इस महीने से इस्लामिक नया साल शुरू होता हे लेकिन पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासों और रिश्तेदारों ने इस्लाम को ज़िंदा रखने के लियें अपने प्राणों की जो आहुति दी हे उसने इस महीने को अम्र और अजर बना दिया हे और इसीलियें इस महीने को नये साल की शुरुआत से ज्यादा कुर्बानी के महीने के रूप में पहचान बन गयी हे मोहर्रम माह में हसन हुसेन का बेरहमी से कत्ल हुआ था इसलियें इस महीने में मातम भी होने लगा हे आज सफर का महीना हे लेकिन इस महीने में ४० दिन पुरे होने के बाद हसन हुसेन और कर्बला के शहीदों की चालीसवे की फातिहा हे ।
चालीसवां यानी इस दिन किसी की म्रत्यु के बाद उसके मुकम्मल जन्नत में पहुंचने के मामले में फातिहा होती हे और यह एक बढ़ी फातिहा होने लगी हे सभी कबीलों ने स्थानीय लोगों की विधि के अनुसार इसे मनाना चालू कर दिया हे इस दिन खुदा की इबादत कर शहीदों को श्रद्धांजली दी जाती हे और उनकी आत्मा की म्ग्फेर्ट के लियें दुआ की जाती हे लेकिन हसन हुसेन अज़ीम हस्ती रहे हें वोह इस्लाम को जिंदा रखने के लियें हर तरह की क़ुरबानी देने के मामले में आदर्श हें और कुल्लो न्फ्स्न जाय्क्तुल म़ोत हर शख्स को म़ोत का मजा चखना हे अल्लाह के इस आदेश की पालना की जा रही हे इन्ना इलेहे व् इन्ना इलेहे राजे उन यानी तेरी अमानत थी तुझे सोंप दी इस कथन के बाद भी इस दिन को जोर शोर से त्यौहार उत्सव गम और फ़िक्र के साथ मनाया जाता हे गम इस बात का के इस दिन हमने हमारे पूर्वजों ने इस्लाम की राह आसान करने के लियें बेरहम जल्लाद लोगों के ज़ुल्म सहे मारकाट सही और ख़ुशी इसकी के ज़ालिम सब मिलकर भी हमारे पूर्वजों को डरा धमका कर जान का डर बता कर भी उन्हें इस्लाम की रह से नहीं डिगा सके इस लियें यह गम के साथ साथ इस्लाम की जीत और गोरव का दिन भी हे के एक सच्चा मुसलमान खुद जान दे देगा लेकिन इस्लाम की राह में कोई समझोता नहीं करेगा राजस्थान सहित प[उरे देश और विश्व में अलग अलग तरीके इस दिन को मनाया जाता हे इस दिन भी शहादत के दिन की तरह लोग स्बिलें लगा कर प्यासों को शरबत पानी पिलाते हें ,भूखों को खिचड़ा हलीम खिलाते हें फातिहा पढ़ते हें और संकल्प लेते हें के हसन हुसेन की क़ुर्बानी जाया नहीं जाने देंगे और इस्लाम के झंडे को हर कीमत पर अपनी जान देकर भी बुलंद रखेंगे बस आज का दिन इसी विचार के साथ मुसलमानों द्वारा मनाया जा रहा हे वोह बात अलग हे के क्षेत्रीय संस्क्रती के आधारों पर उसमं स्थानीय पुट भी आ जाता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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