आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

27 जनवरी 2011

लहू लुहान में .

लहू लुहान में
खड़ा हूँ
सामने तेरे
आज तू खुद देख ले
ग़लती तेरी
क्या होगी इसमें
नादानी मेरी ही हे
मुझे पता ही नहीं रहा
के कांटे
होते हें
हर
नाज़ुक गुलाब में
यूँ ही
छू लिया हे
तुझे
तो
लहू लुहान तो
रहूँगा ही
प्यार के इस
इस्तेराब में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...