एक सुबह ऐसी भी आई हे
उसके होंटों पर
निशानों के पड़े शिकवे हें
और इस खामोश
शिकवे से
देखो
आज फिर
उसने
सबके सामने
नजर अपनी झुकाई हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 जनवरी 2011
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आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
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