में हिन्दुस्तान हूँ…में मुसलमान हूँ…कहां हिन्दू कहां मुसलमान
दोस्तों में खुश नसीब हूँ जो अमन के पैगाम में मासूम भाई ने खुद मेरे ब्लॉग से खोज खबर कर उनका जो मिशन हे उस मिशन के लियें मेरी रचनाओं को चुना और उनके इस प्रयास से मुझे भी नई पहचान मेरे दोस्तों मेरी बहनों का प्यार स्नेह मिला में शुक्रगुज़ार हूँ मासूम भाई और अमन के पैगाम की टीम का इसलियें में एक बार फिर इसे मेरे अपने ब्लॉग पर इन रचनाओं को मासूम भाई के सेलेक्शन प्रकाशन के अनुरूप फिर से प्रकाशित कर रहा हूँ , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान Posted on Sunday, January 9, 2011 by एस.एम.मासूम in
में हिन्दुस्तान हूँ
जी हाँ में हिन्दुस्तान हूँ ,मुझे मुगलों राजाओं अंग्रेजों ने लूटा हे मुझे आज नेता ,अफसर , उद्योगपति , गुंडे लूट रहे हें देखो फिर भी में कल की तरह अपनी जगह मुस्कुराता हुआ खड़ा हूँ मेरे पर्वत लोगों की रक्षा में हें , मेरी नदियाँ लोगों की प्यास बुझा रही हें , मेरी जमीन लोगों की भूक मिटा रही हे । जी हाँ में हिन्दुस्तान हूँ मेरे नेता जनता को ठग रहे हें , आतंकवादियों के आगे नतमस्तक हें , अमेरिका और दुसरे देशों के गुलाम बने हें ,पड़ोसी मुट्ठी भर लोगों का कमजोर देश मुझ पे गुर्राता हे मुझ से ग़द्दारीकरता हे फिर भी मेरी एक इंच जमीन भी मेने किसी को नही दी हे क्योंकि में हिन्दुस्तान हूँ । जी हाँ में हिन्दुस्तान हूँ मेरे यहाँ बेईमान , मिलावटखोर, गद्दार , धर्म के नाम पर साम्प्रदायिकता फेलाने वाले ,भ्रष्ट लोग मुंह छुपाए बेठे हें लेकिन देखो में फिर भी अपनी जगह खड़ा हूँ क्योंकि में हिन्दुस्तान हूँ । तो दोस्तों कहदो मेरे हिन्दुस्तान के गद्दारों से अब हम भी हिन्दुस्तान के साथ जाग रहे हें और इसीलिए अब हिन्दुस्तान के अमन चेन के दुश्मन ,भ्रष्ट बेईमान लोगों की खेर नहीं हे सुधर गये तो तुम्हे माफ़ क्र दूंगा क्योंकि जी हाँ में हिन्दुस्तान हूँ।में मुसलमान हूँ
देश में कहीं भी आतंकी कार्यवाही हो मुझे लोगों को बताना पढ़ता हे में इनमें शामिल नहीं हूँ, देश में मस्जिद में बम फटे या दरगाह में मेरा भाई मरे या बाप मरे फिर भी मुझे चिल्ला चिल्ला कर कहना पढ़ता हे के मेने बम नहीं फोड़ा हे क्योंकि में मुलमान हूँ में जिस राजनितिक पार्टी का आजीवन वोटर रहा हूँ वहां जब में टिकिट मांगने जाता हूँ तो मुझे बताना पढ़ता हे के में केसे जीतूँगा फिर भी मुझे टिकिट नहीं मिलता हे और अगर गिनती भर्ती के लियें टिकिट मिल भी जाए तो मेरी पार्टी के लोग हे मुझे हरा देते हें क्योंकि में मुसलमान हूँ । में पढ़ा लिखा हूँ लेकिन नोकरी नहीं मिलने के कारण आज पंचर बना रहा हूँ क्योंकि में मुसलमान हूँ , में लोन का फार्म भरता हूँ लेकिन मुझे लोन इसलियें नहीं मिलता क्योंकि में मुसलमान हूँ लेकिन दोस्तों मेरे देशवासियों इसके बाद भी मुझे गर्व हे के में हिन्दुस्तान में हूँ और हिन्दुस्तान का मुसलमान हूँ यहाँ सिस्टम के दुश्मनों छोड़ दें तो आज हमारे आस पास रहने वाले हमारे हिन्दू बाई हमें सुरक्षा दे रहे हें हमारे हिन्दू भाई हमें रोज़गार दे रहे हें यहाँ की कोरतें हमनें इन्साफ दे रहे हें आज हारे हिन्दू भाइयों की वजह से ही हम जिंदा हें मुझे गर्व हे के में हिन्दुस्तान में हूँ और हिन्दुस्तानी मुसलमान हूँ ।
कहां हिन्दू कहां मुसलमान
कहां हिन्दूकहां मुसलमान
दोनों ने
बस बना लिया हे
अपना अपना स्थान ,
कहां हिन्दू
कहां मुसलमान
बस हिन्दू हो
चाहे हो मुसलमान
इसको ही
अंतिम सत्य रहा हे मान
मेरा ही स्थान
हे सम्पूर्ण
अंतिम रूप से
यही सोचता हे मुसलमान
हिन्दू सोचता हे
किसी का नहीं
सिर्फ मेरा ही हे
सारा ब्रह्माण
यहे अर्ध सत्य हे
पूर्ण सत्य तो सागर हे
जहां हिन्दू हे
ना हे मुसलमान
सागर बनो
तुम हिन्दू हो
चाहे हो मुसलमान
अपने में समा लो
सभी विचारधाराएँ
चाहे हो तुम हिन्दू
चाहे हो मुसलमान
मगर खुदा के लियें
बस बन जाओ इंसान
दिल में तुम चाहे जो रखो
वोह फिर चाहे राम हो चाहे रहमान
M.A., L.Lb, D.L.L. और PGD जौर्नालिस्म
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
अख्तर साहब आप एक इमानदार लेखनी के मालिक हैं और आप को शायद मैं उतनी सराहना नहीं दिलवा सका जितनी आप कि होनी चाहिए थी.
जवाब देंहटाएंलेकिन आप कि लेखनी और फ़िक्र कि मैं इज्ज़त करता हूँ.
आप जैसे लोग तो अमन के पैग़ाम कि शान हैं
स.म.मासूम
अख्तर भाई गजब की बात कही है।
जवाब देंहटाएंआभार