ऐ मेरे हम दम
तुम्हें सब पता हे
हजारों कडवे अलफ़ाज़
लाखों आलोचनाएँ
चीख और पुकार
मुझे दुखी नहीं कर सकते
बस एक तुम्हारी चुप्पी
तुम्हारी उदासी
मुझे
बेबस और रुला देती हे
इसलियें
प्लीज़
खुश रहो
मुझे भी खुश रखो
ताके
जमाने में
खुशियों के रंग
भर सकें ...... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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